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Secret Donation : IIT Bombay को अनजान शख्स ने 160 करोड़ का चेक किया दान, जलवायु चुनौतियों पर खर्च होगी धनराशि

आईआईटी बॉम्बे ( IIT Bombay) अपनी शिक्षा व्यवस्था और जॉब प्लेसमेंट को लेकर अक्सर चर्चा में रहता है। ये देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में से एक है। छात्र यहां से पढ़ाई करने के लिए रात-दिन एक कर पढ़ाई करते हैं, लेकिन इस बार ये किसी और वजह से चर्चा में बना हुआ है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। आईआईटी बॉम्बे ( IIT Bombay) अपनी शिक्षा व्यवस्था और जॉब प्लेसमेंट को लेकर अक्सर चर्चा में रहता है। ये देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में से एक है। छात्र यहां से पढ़ाई करने के लिए रात-दिन एक कर पढ़ाई करते हैं, लेकिन इस बार ये किसी और वजह से चर्चा में बना हुआ है। बता दें कि आईआईटी बॉम्बे ( IIT Bombay)  को $1.8 करोड़ यानी भारतीय रुपए के हिसाब के करीब 160 करोड़ रुपए का दान मिला है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये अभी तक पता नहीं चल पाया है कि दान देने वाला कौन है?

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डायरेक्टर प्रोफेसर सुभासीस चौधरी का बयान

IIT Bombay के डायरेक्टर प्रोफेसर सुभासीस चौधरी ( Director Professor Subhasish Chowdhary) ने इस दान की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट को 1.8 करोड़ डॉलर का दान मिला है। ये दान देने वाला अज्ञात शख्स कॉलेज का पूर्व छात्र है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में ऐसा होता रहता है, लेकिन मुझे लगता है ये पहली बार होगा जब इतनी बड़ी राशि किसी इंस्टीट्यूट को मिली होगी जहां शख्स ने अपनी पहचान बताई नहीं होगी।

नंदन नीलेकणी कर चुके हैं दान

इससे पहले इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणी (Infosys co-founder Nandan Nilekani) भी अज्ञात बनकर IIT Bombay को 85 करोड़ रुपए दे चुके हैं। हलांकि बाद इस दान की जानकारी हो गई थी। उन्होंने इसी साल जून 2023 में 315 करोड़ रुपए दान कर चुके हैं। इस तरह से उन्होंने अभी तक कुल 400 करोड़ रुपए दे चुके है। नंदन नीलेकणी साल 1973 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में ग्रेजूएट कर चुके हैं। उन्होंने ये दान संस्था से जुड़ने के 50 साल पुरे होने पर दिया था।

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रिसर्च के लिए खर्च होगी धनराशि

ये दान ऐसे समय में आया है जब इंस्टीटयूट का अपना बजट बिगड़ रहा है और खर्च कम करने में लगा हुआ है। इतना ही नहीं वो कर्ज की ओर रुख कर रहा था। कहा जा रहा है कि इन पैसों से कैंपस में ग्रीन उर्जा और सतत अनुसंधान केंद का निर्माण किया जाएगा। वहीं इस धनराशि का बड़ा हिस्सा रिसर्च पर खर्च किया जाएगा।

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