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यूपी की स्वास्थ्य सेवा बेहाल, 200 बेड का तिलोई मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल और संविदा के भरोसे, अमेठी में 11 PHC पर एक भी MBBS नहीं

यूपी (UP) के अमेठी जिले (Amethi District) में 2011 की जनगणना के अनुसार 18.68 लाख की आबादी है। इस जिले के सरकारी अस्पतालों में मात्र 81 स्थायी और 98 संविदा डॉक्टर भरोसे चिकित्सा व्यवस्था चल रही है। आंकड़ों पर नजर डालें तो सरकारी अस्पतालों में जनपद के 10,434 लोगों के लिए मात्र एक डॉक्टर ही उपलब्ध है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

अमेठी: यूपी (UP) के अमेठी जिले (Amethi District) में 2011 की जनगणना के अनुसार 18.68 लाख की आबादी है। इस जिले के सरकारी अस्पतालों में मात्र 81 स्थायी और 98 संविदा डॉक्टर भरोसे चिकित्सा व्यवस्था चल रही है। आंकड़ों पर नजर डालें तो सरकारी अस्पतालों में जनपद के 10,434 लोगों के लिए मात्र एक डॉक्टर ही उपलब्ध है। अमेठी जिला अस्पताल (Amethi District Hospital) के आईसीयू में 9 वेंटिलेटर हैं, लेकिन स्टाफ के अभाव में बंद पड़े हैं।

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अमेठी जिला अस्पताल (Amethi District Hospital) में कुल 34 चिकित्सकों के पद हैं, जिनके सापेक्ष केवल 19 चिकित्सक ही तैनात हैं। सीएमओ (CMO) के अधिकार क्षेत्र में कुल 13 सीएचसी और 30 पीएचसी हैं। जिनमें 11 पीएचसी ऐसे हैं, जिस पर कोई एमबीबीएस डॉक्टर नियुक्त नहीं है। जिले के तिलोई स्थित 200 बेड के मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल को छोड़कर कोई भी स्थायी चिकित्सक नियुक्त नहीं है। मेडिकल कॉलेज केवल संविदा चिकित्सकों के भरोसे चल रहा है। जिले में कोई भी कॉर्डियॉलजिस्ट और न्यूरोलॉजिस्ट नहीं है। जिले में मरीजों को भर्ती करने के लिए 1056 बेड उपलब्ध हैं, लेकिन चिकित्सकों की कमी और आईसीयू (ICU) सुविधा न मिल पाने से मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में जाने को मजबूर होना पड़ता है।

हालांकि इन आंकड़ों के हकीकत के उलट सीएमओ डॉ. अंशुमान सिंह कहते हैं कि हमारे यहां कोई अस्पताल चिकित्सक विहीन नहीं है। सभी सीएचसी में इमरजेंसी सेवाएं चलती हैं।

इस संबंध में सीएमएस डॉ. बी.पी अग्रवाल  का कहना है कि चिकित्सकों की पोस्टिंग के लिए शासन से कई बार पत्राचार किया गया है। जैसे नियुक्ति होती है, तुरंत शासन स्तर से पोस्टिंग की जाती है।

मेडिकल कॉलेज तिलोई की प्रिंसिपल डॉ. रीना शर्मा ने जब जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बताया कि आगामी सत्र से मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई शुरू होगी। चिकित्सकों के स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है।

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उन्नाव के पूराचांद गांव में एएनएम सेंटर पर बना शोपीस, बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गर्भवती महिलाओं को जाना पड़ता है 9 किमी दूर

उन्नाव।  उन्नाव जिले के विकासखंड औरास के पूरा चांद गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति गंभीर बनी हुई है। गांव के एएनएम स्वास्थ्य केंद्र पर हर दिन ताला लटका रहता है, जिससे ग्रामीणों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 9 किलोमीटर दूर औरास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है।

स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य केंद्र में महिला स्वास्थ्य कर्मी की नियुक्ति तो हुई है, लेकिन वह केंद्र पर नियमित रूप से उपस्थित नहीं रहती। इसका सीधा असर गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम पर पड़ रहा है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं और बीमार बच्चों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जो उनके लिए अत्यंत कष्टदायक है।

स्थानीय प्रशासन की ओर से इस गंभीर समस्या पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। यह स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाल स्थिति को दर्शाती है, जहां आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।

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रामपुर मथुरा में नवनिर्मित आयुष्मान आरोग्य मंदिर एक साल में हुआ जर्जर, दीवार और फर्श टूटी

सीतापुर। यूपी के सीतापुर जिले के रामपुर मथुरा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है। पिछले साल निर्मित आयुष्मान आरोग्य मंदिर अभी तक स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित नहीं किए गए हैं। इससे पहले ही जर्जर होने लगे हैं। यह स्थिति निर्माण में व्यापक भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।

साधुवापुर और कोदौरा सहित कई स्थानों पर बने नए आयुष्मान आरोग्य केंद्रों की हालत दयनीय है। निर्माण में गुणवत्ता का घोर अभाव दिखाई दे रहा है। कई केंद्रों में फर्श धंस गया है, दीवारों की पेंट उखड़ रही है और खंभे टूटने की कगार पर हैं।

विशेष रूप से चिंताजनक यह है कि ये सभी केंद्र मात्र एक वर्ष पहले ही बनाए गए थे। निर्माण में की गई लापरवाही और संदिग्ध गुणवत्ता के कारण ये केंद्र उपयोग में आने से पहले ही जर्जर हो चुके हैं। यह स्थिति सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार को उजागर करती है।

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