कई महिलाएं वजाइना में गीलेपन की समस्या से परेशान रहती हैं, लेकिन इस बारे में किसी से बात करने में झिझक महसूस करती है। जिसकी वजह से इंटिमेट एरिया से जुड़ी कई समस्याएं होने लगती है। महिलाओं को योनि में संक्रमण, खुजली, दर्द और कई दिक्कतें रहती है। असल में ये आम समस्याएं है किसी न किसी महिला को इस समस्या से दो चार होना पड़ता है।
कई महिलाएं वजाइना में गीलेपन की समस्या से परेशान रहती हैं, लेकिन इस बारे में किसी से बात करने में झिझक महसूस करती है। जिसकी वजह से इंटिमेट एरिया से जुड़ी कई समस्याएं होने लगती है। महिलाओं को योनि में संक्रमण, खुजली, दर्द और कई दिक्कतें रहती है। असल में ये आम समस्याएं है किसी न किसी महिला को इस समस्या से दो चार होना पड़ता है।
कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट के अनुसार अक्सर योनि में गीलेपन को सिर्फ, सेक्शुअल प्लेजर या फीमेल सेक्शुअल अराउजल से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन, असल में ऐसा नहीं है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं और हमेशा योनि में गीलापन महसूस होना सही नहीं है।
पीरियड्स शुरू होने से पहले या इसके खत्म होने के तुरंत बाद भी वजाइना में गीलापन महसूस हो सकता है। ऐसा हार्मोनल उतार-चढ़ाव की वजह से होता है।
दरअसल, वजाइना की सेल्स के भीतर, तरल पदार्थ यानी लिक्विड बनता है। यह वजाइना को हेल्दी रखने के लिए जरूरी होता है। लेकिन, इसका बहुत अधिक रिलीज होना भी सही नहीं है।
कई बार योनि में सूजन आने की वजह से भी पीले रंग का लिक्विड निकलता है। इस कंडीशन में निकलने वाला यह लिक्विड चिपचिपा हो सकता है। वजाइना में बहुत अधिक गीलापन, हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से भी महसूस हो सकता है। ऐसे में शरीर में हार्मोन्स का बैलेंस रखना भी जरूरी है।
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम भी वजाइना के गीले रहने की एक वजह हो सकता है। इस कंडीशन की वजह से न केवल वजाइना में गीलापन बना रहता है बल्कि पीरियड्स पर भी असर होता है।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस यानी वजाइना इंफेक्शन की वजह से भी वजाइना से पतला और पानी जैसा स्त्राव होता है। एक्सपर्ट का कहना है कि वजाइना में बहुत अधिक गीलापन महसूस होने पर आपको डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए।
वजाइनल इंफेक्शन से बचने के उपाय
डेली गुनगुने पानी से योनि क्षेत्र की सफाई करें। इसके लिए माइल्ड साबुन या बिना सुगंध वाले उत्पादों का उपयोग करें। योनि को साफ करते समय आगे से पीछे की दिशा में पोंछें ताकि बैक्टीरिया को योनि में प्रवेश करने से रोका जा सके।
डाउचिंग (योनि की अंदरूनी सफाई के लिए रसायनयुक्त उत्पादों का उपयोग) से योनि का प्राकृतिक पीएच संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
सुगंधित साबुन, शावर जेल, योनि स्प्रे और सुगंधित सैनिटरी उत्पादों का उपयोग न करें, क्योंकि ये योनि की संवेदनशीलता को बढ़ा सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
कॉटन के बने अंडरवियर पहनें जो सांस लेने योग्य होते हैं और नमी को सोखते हैं। तंग और नायलॉन के बने कपड़ों से बचें, क्योंकि ये नमी को फंसा सकते हैं और फंगस के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा कर सकते हैं।
यौन संबंध बनाते समय कंडोम का उपयोग करें। यह यौन संचारित संक्रमण के जोखिम को कम करता है। एक से अधिक यौन साथी से बचें और अपने साथी के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।
प्रोबायोटिक्स, जैसे कि दही का सेवन करें, जो लैक्टोबेसिलस बैक्टीरिया की संख्या को बढ़ावा देता है और योनि के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। शर्करा के अत्यधिक सेवन से बचें, क्योंकि यह खमीर संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है।
स्विमिंग या व्यायाम के बाद गीले कपड़ों को तुरंत बदलें। गीले और पसीने से भरे कपड़े योनि संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स का सेवन न करें। एंटीबायोटिक्स योनि के प्राकृतिक बैक्टीरिया को नष्ट कर सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
पेशाब के बाद हमेशा योनि क्षेत्र को अच्छे से पोंछें और इसे सूखा रखें। नमी बैक्टीरिया और फंगस के विकास को बढ़ावा दे सकती है।
तनाव आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। नियमित रूप से व्यायाम करें, ध्यान लगाएं, और पर्याप्त नींद लें।
यदि आपको किसी उत्पाद, कपड़े या खाद्य पदार्थ से एलर्जी या संवेदनशीलता है, तो उनसे बचें। योनि में किसी भी प्रकार की जलन या खुजली होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।