Why is Guru Purnima celebrated? आज गुरु पुर्णिमा है ये हर साल आषाढ़ महीने की पुर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। ये त्योहार पूरे भारत में बड़े ही प्यार के साथ मनाया जाता हैं। गुरुपूर्णिमा के दिन हर शिष्य को अपने गुरु से आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन शिष्य को अपने गुरु के चरण में पुष्प अर्पित करना चाहिए यदि आप के पास गुरु नही है तो आप अपने माँ पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लीजिये। इनता सब कुछ जाने के बाद ये सवाल भी आप जानना चाहते होंगे कि आखिर गुरु पुर्णिमा क्यों मनाया जाता है तो आइए आज हम आपको बताते हैं।
Why is Guru Purnima celebrated? आज गुरु पुर्णिमा है ये हर साल आषाढ़ महीने की पुर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। ये त्योहार पूरे भारत में बड़े ही प्यार के साथ मनाया जाता हैं। गुरुपूर्णिमा के दिन हर शिष्य को अपने गुरु से आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन शिष्य को अपने गुरु के चरण में पुष्प अर्पित करना चाहिए यदि आप के पास गुरु नही है तो आप अपने माँ पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लीजिये। इनता सब कुछ जाने के बाद ये सवाल भी आप जानना चाहते होंगे कि आखिर गुरु पुर्णिमा क्यों मनाया जाता है तो आइए आज हम आपको बताते हैं।
क्यों मनाया जाता है गुरु पुर्णिमा
गुरु जो की हमारे जीवन को मार्ग दिखते हैं । गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊंचा मनाया गया है क्योंकि हमे भगवान तक जाने का मार्ग गुरु ही दिखाते हैं। गुरु पुर्णिमा का महत्व हमारे जीवन में बहुत ज्यादा है। इस दिन को महर्षि वेदव्यास के जयंती के रूप में मनाया जाता है। महर्षि वेदव्यास जो ही महाभारत की रचना किए थे। महर्षि वेदव्यास जी ने वेदों का विभाजन किया था। इसीलिए इस दिन को वेदव्यास पुर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। गुरु हमारे जीवन के वो इंसान हैं जो हमेशा अपने शिष्य को अपने से आगे जाने की कामना करते हैं ये सोच सिर्फ आपके माता पिता के बाद गुरु ही रख सकते हैं। यही वजह है की गुरु पुर्णिमा को ज्ञान ,सम्मान का पर्व माना जाता है।
गुरु पुर्णिमा का महत्व
आज के टाइम में हर किसी की ज़िंदगी भागदौड़ भरी है लोग अपने लक्ष्य के पीछे सुबह से शाम तक भागते रहते हैं। ऐसे में गुरु पुर्णिमा एक ऐसा दिन होता है जब हम उनलोग को याद करते हैं जिन्होने हमारे जीवन को सही रास्ता दिखाया है। हमें इस लायक बनाया है ताकि हम अपनी ज़िंदगी जी सकें। हम उनको याद करके उनका आभार व्यक्त कर सकें। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्व-अवलोकन (self reflection) और आभार (thankfulness) के लिए भी विशेष होता है। इस दिन आप अपने माता-पिता को भी आभार प्रकट करें क्योंकि जीवन में लाने वाले पहले अक्षर सिखाने वाले माता-पिता ही गुरू समान होते हैं।
रिपोर्ट: आकांक्षा उपाध्याय