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हनुमानगढ़ी के पुजारी राजू दास की मुश्किलें बढ़ेंगी? अयोध्या DM से हॉट-टॉक के बाद तैयार किया जा रहा है मुकदमों का ब्यौरा

अयोध्या की श्री सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास और जिला प्रशासन के बीच ठना युद्ध अब उनकी मुश्किलें बढ़ा सकता है। अयोध्या से लेकर महंत राजू दास की जन्मस्थली बिहार तक उनकी कुंडली खंगाली जा रही है । राजू दास हनुमानगढ़ी की चार पट्टियों में एक उज्जैनिया पट्टी के महंत संत रामदास के गरीबी शिष्य हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

अयोध्या । अयोध्या की श्री सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास और जिला प्रशासन के बीच ठना युद्ध अब उनकी मुश्किलें बढ़ा सकता है। अयोध्या से लेकर महंत राजू दास की जन्मस्थली बिहार तक उनकी कुंडली खंगाली जा रही है । राजू दास हनुमानगढ़ी की चार पट्टियों में एक उज्जैनिया पट्टी के महंत संत रामदास के गरीबी शिष्य हैं।

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राजू दास छात्र जीवन से ही हिंदुत्व को लेकर मुखर रहे हैं।राजू दास जब से सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर लौटे हैं वह बिल्कुल शांत हैं। राजू दास की मानें तो उन्होंने मुख्यमंत्री को जिला प्रशासन से हुई अनबन के कारणों की जानकारी दी है।इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दो दिन पहले अयोध्या डीएम नीतीश कुमार से हॉट टॉक के बाद उनके मुकदमों का ब्यौरा तैयार किया जा रहा है।

डीएम नीतीश कुमार के अनुसार पुजारी राजू दास पर अयोध्या धाम के दो थानों में तीन केस दर्ज हैं। इन्हीं के आधार पर दो चरणों में सुरक्षा हटाए जाने की कार्रवाई की गई है।

यह कोई पहला मौका नहीं है, जब राजू दास सुर्खियों में हैं। कुछ वक्त पहले ही वह रामचरितमानस पर कथित टिप्पणी को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमलावर थे। उनकी गर्दन काटने वाले को पुरस्कार की घोषणा कर दी थी। एक्ट्रेस स्वरा भास्कर पर भी टिप्पणी से चर्चा में आए थे। राजू दास मूल रूप से कहां के रहने वाले हैं, उनके माता-पिता का क्या नाम है? इस बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिलती। राजू दास खुद एक इंटरव्यू में बताते हैं कि जब साढ़े चार साल के थे, तब उनके माता-पिता ने उन्हें हनुमान जी को समर्पित कर दिया। हनुमानगढ़ी मंदिर छोड़ गए। इसके बाद संत महंत राम दास ने उनकी पालन-पोषण किया और दीक्षा दी।

राजू दास ने मंदिर में रहकर ही पढ़ाई-लिखाई की। स्कूली पढ़ाई के बाद के.एस साकेत पीजी कॉलेज गए। यहां पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स की डिग्री ली। इसके बाद एलएलबी भी की। कॉलेज में एबीवीपी के साथ जुड़ गए और साल 2018 तक छात्र राजनीति करते रहे। इसके बाद बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद में भी अलग-अलग जिम्मेदारियां संभाली। राजू दास खुद को नागा साधु बताते हैं। कहते हैं कि जब वह हनुमानगढ़ी मंदिर आए, तब यहां 1500 साधु रहा करते थे। सब निर्वाणी अखाड़े से जुड़े थे। हनुमानगढ़ी में अखाड़े की चार पट्टी अथवा पंथ के साधु रखते हैं। उज्जैनिया, बसंतिया, हरद्वारी और सागरिया। राजू दास उज्जैनिया पट्टी से आते हैं। यही चारों पट्टी देशभर में निर्वाणी अखाड़े से जुड़े मंदिरों का प्रबंधन करती है।

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