अकबर जिस भारत के वीर के सामने सर झुकता था, उसका नाम महाराणा प्रताप था, जो मेवाड़ के राणा थे। अकबर जब भारत में आया तो अपने पूर्ण साम्राज्य विस्तार किया, लेकिन महाराणा प्रताप अकबर के सामने चुनौती बनकर खड़े हो गए थे। महाराणा प्रताप अकबर के सबसे बड़े शत्रु कहे जाते थे, क्योकि अकबर कभी भी राणाजी को हरा नहीं पाया था।
नई दिल्ली: अकबर (Akbar) से जुड़े कई बहादूरी के किस्से इतिहास में लिखे हुए है। लेकिन एक शक्तिशाली राजा और भी था, जिसके सामने अकबर (Akbar) का सर झुक जाता था। इस बात में कोई दो राय नहीं की भारत की धरती वीरों से भरी है। भारत के कई शूरवीर पुत्र भारत की धरती को गौरव से भर देते हैं। आपको बता दें, आज हम जिस राजा की बात कर रहे हैं वह राजा इतना ज्यादा शक्तिशाली और बहादूर था कि अकबर (Akbar) खुद को उसके सामने छोटा महसूस करता था और उस राजा का जिक्र होने पर अकबर (Akbar) उस राजा की तारीफ़ करता हुआ थकता नहीं था।
अकबर (Akbar) जिस भारत के वीर के सामने सर झुकता था, उसका नाम महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) था, जो मेवाड़ के राणा (Rana of Mewar) थे। अकबर (Akbar) जब भारत में आया तो अपने पूर्ण साम्राज्य विस्तार किया, लेकिन महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) अकबर (Akbar) के सामने चुनौती बनकर खड़े हो गए थे। महाराणा प्रताप अकबर (Akbar) के सबसे बड़े शत्रु कहे जाते थे, क्योकि अकबर (Akbar) कभी भी राणाजी को हरा नहीं पाया था।
राणाजी सिर्फ अपनी प्रजा और अपने देश के लिए जीते थे। राणाजी की गुरु उनकी माता जयावती बाई थी जिसको राणाजी अपनी प्रथम गुरु मानते थे। अकबर और राणाजी के बीच कोई आपसी लड़ाई नहीं थी, बल्कि सिद्धांतो और मूल्यों को लेकर लड़ाई थी। अकबर (Akbar) महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की वीरता और उनके गुणों से भली भांति परिचित था, इसलिए राणाजी का प्रसंशक भी था।
महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) 207 किलो वजन के साथ चलते और लड़ते थे। राणाजी के भाले का वजन लगभग 80 किलो हुआ करता था। कवच भी 80 किलो था। उनके भाला, कवच भाला, ढाल, तलवार सब मिलकर 207 किलो का वजन हुआ करता था, जिसके साथ राणाजी युद्ध करने जाते और लडते थे।
अकबर (Akbar) ने राणा प्रताप को अपने सामने झुकने पर भारत का आधा राज्य और संपत्ति देने प्रस्ताव दिया था लेकिन राणाजी ने बादशाहत के प्रस्ताव को ठोकर मार दी थी। कहा जाता है कि हल्दी घाटी लड़ाई में मेवाड़ के 20,000 सैनिक थे, जब कि अकबर(Akbar) के 85000 सैनिक थे। महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की वीरता और शक्ति के सामने अकबर (Akbar) की भीड़ वाली सेना कुछ नहीं थी। महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) के वीरगति पाने के समय अकबर (Akbar) लाहौर में था और लाहौर में ही महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की वीरगति को प्राप्त करने की सूचना सुनी।
राणाजी के मौत से अकबर (Akbar) की मनोदशा और अकबर की स्थिति का वर्णन अकबर के दरबारी दुरसा आढ़ा द्वारा राजस्थानी छंद में लिखा गया है। जिसने अकबर के उस समय स्थिति को देखा था। जब राणाजी की मौत हुई तो इस खबर से अकबर (Akbar) सबसे ज्यादा दुखी हुआ और कहा कि महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) जैसा वीर पूरी धरती पर ना कोई था और शायद ना कभी होगा। राणाजी की मौत की खबर सुनते ही अकबर (Akbar) को सदमा हो गया था और अकबर रहस्यमय तरीके से मौन रह गए थे। अकबर (Akbar) की आँख में राणाजी की मौत से आंसू आ गए थे।