Balochistan Train Hijack: 'बलूचिस्तान जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक' की घटना को अंजाम देने वाले बलूच विद्रोहियों ने दावा किया है कि उन्होंने सभी 214 बंधको को मार डाला है। जिन 214 लोगों को मारा गया है वे सभी पाकिस्तानी सेना के जवान हैं। बीएलए के इस बयान से हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि पाकिस्तान सरकार ने बुधवार को ही दावा कर दिया था कि संकट खत्म हो गया है और सभी विद्रोही लड़ाके मारे गए हैं और सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया है।
Balochistan Train Hijack: ‘बलूचिस्तान जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक’ की घटना को अंजाम देने वाले बलूच विद्रोहियों ने दावा किया है कि उन्होंने सभी 214 बंधको को मार डाला है। जिन 214 लोगों को मारा गया है वे सभी पाकिस्तानी सेना के जवान हैं। बीएलए के इस बयान से हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि पाकिस्तान सरकार ने बुधवार को ही दावा कर दिया था कि संकट खत्म हो गया है और सभी विद्रोही लड़ाके मारे गए हैं और सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया है।
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के प्रवक्ता ने बंधक बनाए 214 जवानों की हत्या को पाकिस्तान सेना की हार करार दिया है। साथ ही उन्होंने बंधकों की मौत के लिए पाकिस्तान सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, पाकिस्तान सरकार के 33 बलूच लड़ाकों को मार गिराने और सभी बंधकों को छुड़ा लेने के दावे को बीएलए ने झूठ करार दिया है। बीएलए का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार केवल झूठ बोल रही है। उसको अपने जवानों की फिक्र ही नहीं है। वह बात करने को तैयार नहीं है। बता दें कि बीएलए ने बंधकों और कैदियों की अदला-बदली के लिए सरकार को 48 घंटे का वक्त दिया था।
बीएलए ने कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून और युद्ध के दायरे में ही सारा काम किया है। पाकिस्तान की सेना इतने जवानों के बलिदान के लिए खुद जिम्मेदार है। पाक सरकार जवानों का इस्तेमाल शांति के लिए नहीं बल्कि युद्ध भड़काने के लिए करती है। इस तरह की हरकतों का खामियाजा उसे 214 जवानों के बलिदान से चुकाना पड़ा है। अलगाववादी संगठन ने कहा कि आजादी की लड़ाई में 12 लोगों की जान गई है। उन्होंने दुश्मनों से लड़ते हुए बलिदान दिया है।
संगठन ने कहा कि पाक सेना बीएलए लड़ाकों के शवों को दिखाकर सफलता का दावा कर रही है जबकि उनका मिशन जिंदा लौटना था ही नहीं। जिन लोगों को दिखाकर कहा जा रहा है कि उन्हें बचाया गया है उन बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को पहले ही दिन रिहा कर दिया गया था। अंतरराष्ट्रीय कानून और युद्ध के नियमों का सम्मान करते हुए उन्हें सुरक्षित रास्ता दे दिया गया था।