1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. Aravalli Hills Row : अरावली केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर लगाई रोक, खनन पर सरकार से मांगी स्पष्ट जानकारी

Aravalli Hills Row : अरावली केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर लगाई रोक, खनन पर सरकार से मांगी स्पष्ट जानकारी

अरावली हिल्स (Aravalli Hills) में खनन मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में से जुड़े स्वत:संज्ञान लेते हुए आज सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने अरावली रेंज की परिभाषा को लेकर गंभीर चिंता जताई है। केंद्र सरकार से कई तकनीकी सवालों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)   से जवाब मांगा है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। अरावली हिल्स (Aravalli Hills) में खनन मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में से जुड़े स्वत:संज्ञान लेते हुए आज सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने अरावली रेंज की परिभाषा को लेकर गंभीर चिंता जताई है। केंद्र सरकार से कई तकनीकी सवालों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)   से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि 20 नवंबर के आदेश को लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और स्वतंत्र समीक्षा ज़रूरी है। इसके लिए डोमेन एक्सपर्ट्स की हाई पावर्ड कमेटी गठित होगी, जो खनन के पर्यावरणीय असर, परिभाषा की सीमाओं और संरक्षण की निरंतरता जैसे मुद्दों की जांच करेगी। अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी।

पढ़ें :- Unnao Rape Case: सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से लगा बड़ा झटका; हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने स्पष्ट किया है कि अरावली पहाड़ियों (Aravalli Hills) से जुड़े 20 नवंबर के आदेश को अगली सुनवाई तक लागू नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 जनवरी 2026 तय की है। तब तक यथास्थिति बनी रहेगी और सभी अहम पहलुओं पर विस्तार से विचार किया जाएगा।

अरावली मामले (Aravalli Case)  की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट की कुछ परिणामी टिप्पणियों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है, जिस पर स्पष्टता जरूरी है। CJI ने कहा कि 20 नवंबर के आदेश को लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और ठोस रिपोर्ट अनिवार्य है। उन्होंने अरावली पहाड़ियों (Aravalli Hills) और रेंज की परिभाषा, 500 मीटर से ज्यादा दूरी की स्थिति, माइनिंग पर रोक या अनुमति और उसके दायरे को लेकर गंभीर अस्पष्टताओं को सुलझाने की जरूरत बताई।

अरावली मामले (Aravalli Case) की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि इस मुद्दे को समग्र रूप से देखने की जरूरत है और कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया गया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने स्पष्ट किया कि विशेषज्ञों द्वारा एक ठोस माइनिंग प्लान तैयार किया जाएगा, जिसे कोर्ट की मंजूरी के बाद ही लागू किया जाएगा। इस प्रक्रिया में पब्लिक कंसल्टेशन (Public Consultation) भी होगा। CJI ने इस पहल की सराहना की।

पढ़ें :- भारत रत्न और पद्म अवॉर्ड उपाधि नहीं, इसे नाम के आगे या पीछे नहीं लगा सकते, ऐसा करना कानूनी तौर पर गलत : बॉम्बे हाईकोर्ट
इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...