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‘मुझे PoK वापस चाहिए…’ आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी से संत रामभद्राचार्य ने मांगी गुरुदक्षिणा

भारत-पाकिस्तान सीजफायर के बीच देश के आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी बुधवार को भगवान राम की तपोभूमि धर्मनगरी चित्रकूट पहुंचे थे। यहां पर सुबह दर्शन के बाद आर्मी चीफ संत रामभद्राचार्य के आश्रम भी गए। जहां पर उन्होंने संत से से दीक्षा भी ली। जिसके बाद रामभद्राचार्य महाराज ने उन्हें दीक्षा देने के बाद कहा, 'मैंने उनसे (आर्मी चीफ) दक्षिणा में से पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर मांगा है।

By Abhimanyu 
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Meeting of Army Chief Upendra Dwivedi and Saint Rambhadracharya: भारत-पाकिस्तान सीजफायर के बीच देश के आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी बुधवार को भगवान राम की तपोभूमि धर्मनगरी चित्रकूट पहुंचे थे। यहां पर सुबह दर्शन के बाद आर्मी चीफ संत रामभद्राचार्य के आश्रम भी गए। जहां पर उन्होंने संत से से दीक्षा भी ली। जिसके बाद रामभद्राचार्य महाराज ने उन्हें दीक्षा देने के बाद कहा, ‘मैंने उनसे (आर्मी चीफ) दक्षिणा में से पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर मांगा है।

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मध्य प्रदेश के चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ आश्रम में आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने पत्नी के साथ तुलसीपीठ पहुंचकर कांच मंदिर में पूजा-अर्चन किया। इसके बाद उन्होंने जगद्गुरु से उनके कक्ष में जाकर मुलाकात कर आशीर्वाद लिया और उनसे उनके स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली। यहां पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने आर्मी चीफ को राम मंत्र की दीक्षा दी है। सेना प्रमुख के आश्रम आगमन पर आध्यात्मिक गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, ‘मैंने उन्हें वही दीक्षा राम मंत्र के साथ दी, जो भगवान हनुमान को मां सीता से मिली थी और फिर उन्होंने लंका पर विजय प्राप्त की थी।’ संत ने आगे कहा, ‘मैंने उनसे दक्षिणा मांगी है कि मुझे PoK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) वापस चाहिए।’

बता दें कि प्रकांड विद्वान, कई ग्रंथों व कई कविताओं  के लेखक, आध्‍यात्मिक गुरु और रामानंद संप्रदाय के एक जगद्गुरु रामभद्राचार्य की गिनती देश के महान संतों में होती है. वे 22 भाषाएं बोल सकते हैं। दशकों तक कोर्ट में चले राम मंदिर के विवाद में वे महत्‍वपूर्ण गवाह रहे हैं। आध्यात्मिक संसार में कदम रखने से पहले संत रामभद्राचार्य का नाम गिरिधर मिश्रा था। उनका जन्म साल 1950 में मकर संक्रांति के दिन यूपी के जौनपुर जिले में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जब वे 2 महीने के थे तभी उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। लेकिन, वे शुरू से प्रतिभाशाली रहे।

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