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भाजपा की निगाह वक़्फ़ की ज़मीनों पर, इसका नियंत्रण अपने हाथ में लेकर इसे पिछले दरवाज़े से अपने लोगों के हाथों में चाहती है देना : अखिलेश यादव

सपा अध्यक्ष ने आगे लिखा कि, सबसे बड़ी बात ये है कि वक़्फ़ बिल की पीछे की न तो नीति सही है, न नीयत। ये देश के करोड़ों लोगों से उनके घर-दुकान छीनने की साज़िश है। भाजपा एक अलोकतांत्रिक पार्टी है, वो असहमति को अपनी शक्ति मानती है। जब देश के अधिकांश राजनीतिक दल वक़्फ़ बिल के ख़िलाफ़ है तो इसे लाने की ज़रूरत क्या है और ज़िद क्यों है। वक़्फ़ बिल को लाना भाजपा का ‘सियासी हठ’ है।

By शिव मौर्या 
Updated Date

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वक्फ संशोधन विधेयक (Wakf Amendment Bill) को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि, भाजपा जब भी कोई नया बिल लाती है तो दरअसल वो अपनी नाकामी छुपाती है। भाजपा नोटबंदी, जीएसटी, मंदी, महंगाई, बेरोज़गारी, बेकारी, भुखमरी, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास जैसी समस्याएं सुलझा नहीं पा रही है, इसीलिए ध्यान भटकाने के लिए वक़्फ़ बिल लायी है।

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उन्होंने आगे लिखा, वक़्फ़ की ज़मीन से बड़ा मुद्दा वो ज़मीन है जिस पर चीन ने अपने गांव बसा दिये हैं लेकिन कोई बाहरी ख़तरे पर सवाल-बवाल न करे इसीलिए ये बिल लाया जा रहा है।सरकार गारंटी दे कि वक़्फ़ की ज़मीन कभी भी किसी भी पैंतरेबाज़ी से किसी और मक़सद के लिए किसी और को नहीं दी जाएगी। वक़्फ़ की वर्तमान व्यवस्था में चाहे 5 साल के धर्म पालन की पाबंदी की बात हो या कलेक्टर से सर्वेक्षण के हस्तक्षेप की बात हो या वक़्फ़ परिषद या बोर्ड में बाहरियों को शामिल करने की बात हो… इन सबका उद्देश्य एक वर्ग विशेष के सांविधानिक अधिकार को छीनकर उनके महत्व और नियंत्रण को कम करना है। ट्रिब्यूनल के निर्णय को अंतिम न मानकर उच्च न्यायालय में लेकर जाने की अनुमति देना दरअसल ज़मीनी विवाद को लंबी न्यायिक प्रक्रिया में फंसाकर वक़्फ़ भूमि पर क़ब्ज़ों को बनाये रखने का रास्ता खोलेगा। क्या दूसरे धर्मों की धार्मिक और चैरिटेबल ज़मीनों और ट्रस्टों में बाहरियों को शामिल करके ऐसी ही व्यवस्था करेगी?

सपा अध्यक्ष ने आगे लिखा कि, सबसे बड़ी बात ये है कि वक़्फ़ बिल की पीछे की न तो नीति सही है, न नीयत। ये देश के करोड़ों लोगों से उनके घर-दुकान छीनने की साज़िश है। भाजपा एक अलोकतांत्रिक पार्टी है, वो असहमति को अपनी शक्ति मानती है। जब देश के अधिकांश राजनीतिक दल वक़्फ़ बिल के ख़िलाफ़ है तो इसे लाने की ज़रूरत क्या है और ज़िद क्यों है। वक़्फ़ बिल को लाना भाजपा का ‘सियासी हठ’ है। वक़्फ़ बिल भाजपा की साम्प्रदायिक राजनीति का एक नया रूप है। भाजपा वक़्फ़ बिल लाकर अपने उन समर्थकों का तुष्टीकरण करना चाहती है, जो भाजपा की आर्थिक नीति, महंगाई, बेरोज़गारी, बेकारी और चौपट अर्थव्यवस्था से उससे छटक गये हैं।

भाजपा की निगाह वक़्फ़ की ज़मीनों पर है। वो इन ज़मीनों का नियंत्रण अपने हाथ में लेकर इन ज़मीनों को पिछले दरवाज़े से अपने लोगों के हाथों में दे देना चाहती है। भाजपा चाहती है कि वक़्फ़ बिल लाने से मुस्लिम समुदाय को लगे कि उनके हक़ को मारा जा रहा है, वो उद्वेलित हों और भाजपा को ध्रुवीकरण की राजनीति करने का मौक़ा मिल सके। वक़्फ़ बिल भाजपा की नकारात्मक राजनीति की एक निंदनीय साज़िश है।

अखिलेश यादव ने आगे लिखा, भाजपावाले मुसलमान भाइयों की वक़्फ़ की ज़मीन चिन्हित करने की बात कर रहे हैं जिससे महाकुंभ में जो हिंदू मारे गये हैं या खो गये हैं उनको चिन्हित करने की बात पर पर्दा पड़ जाए। वक़्फ़ बिल के आने से पूरी दुनिया में एक गलत संदेश भी जाएगा। इससे देश की पंथ निरपेक्ष छवि को बहुत धक्का लगेगा। वक़्फ़ बिल भाजपा की नफ़रत की राजनीति का एक और अध्याय है। वक़्फ़ बिल भाजपा के लिए वाटरलू साबित होगा।

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