उत्तर प्रदेश में लिगेसी वेस्ट प्रबंधन में कई जिलों में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। यूपी नगर विकास विभाग की कृपा भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली कंपनियों को खूब मिल रहा है। यूपी नगर विकास के मंत्री अरविंद शर्मा और प्रमुख सचिव अमृत अभिजात भी ऐसी कंपनियों की कारस्तानी पर आंखे बंद किए हुए हैं, या फिर ऐसी कंपनियों को वो बढ़ावा देने में जुटे हुए हैं।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लिगेसी वेस्ट प्रबंधन में कई जिलों में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। यूपी नगर विकास विभाग की कृपा भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली कंपनियों को खूब मिल रहा है। यूपी नगर विकास के मंत्री अरविंद शर्मा और प्रमुख सचिव अमृत अभिजात भी ऐसी कंपनियों की कारस्तानी पर आंखे बंद किए हुए हैं, या फिर ऐसी कंपनियों को वो बढ़ावा देने में जुटे हुए हैं। हाल में ही डाउन टू अर्थ नाम की एक न्यूज वेबसाइड ने लिगेसी वेस्ट प्रबंधन में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया है। इसमें बताया गया कि, प्रयागराज में कचरे की मात्रा को लेकर जमकर धांधली की गयी है।
प्रयागराज कुंभ में कूड़े की मात्रा को लेकर कंपनियों ने मनमाने तरीके से सरकारी राजस्व को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस पूरे खेल में कंपनियों का साथ विभाग और अधिकारी देते रहे हैं।दरअसल, प्रयागराज में कचरे की मात्रा को 14 लाख टन से बढ़ाकर 27 लाख टन कर दिया गया। इसके एवज में करोड़ों का भुगतान भी ले लिया गया। सबसे अहम बात ये है कि, कंपनियां बिना सर्वे कराए ही कचरे की मात्रा 14 लाख टन से बढ़ाकर 27 लाख टन कर दिए। ऐसा नहीं कि ये खेल केवल एक जिले में चल रहा है, जहां पर भी कूड़ा निस्तारण की कंपनियां काम कर रही हैं, वहां पर ये बड़ा खेल इनके द्वारा किया जा रहा है। इसमें विभाग और अधिकारियों की भी पूरी मिलीभगत होती है।
कचरे को ज्यादा दिखाकर हासिल किए वजट
लिगेसी वेस्ट प्रबंधन का काम करने वाली कंपनियों पर विभाग का अमृत खूब बरस रहा है। इसके चलते लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, मुरादाबाद, बरेली समेत अन्य जिलों में इनके कामकाज को लेकर सवाल उठे हैं और शिकायत हुई है। इसमें Ecostan Infra Private Limited जैसी कंपनियों का नाम भी सामने आया है, जिनके ऊपर जमकर धांधली करने का आरोप लगा है। दरअसल, Ecostan कचरे के निस्तारण की बजाए उसे नदियों और गड्ढों में ज्यादा बहा रही है। इसकी फोटो ओर वीडियो भी सामने आ चुके हैं। यही नहीं, कचरे की मात्रा को भी ज्यादा दिखाकर इस कंपनी ने सरकारी राजस्व को खूब लूटा है। बताया जा रहा है कि, लिगेसी वेस्ट प्रबंधन का काम करने वाली कंपनियों ने पिछले कुछ सालों में करीब 600 करोड़ से ज्यादा का सरकारी राजस्व लूटा है। अगर इसकी सही से जांच हो जाए तो इन कंपनियों के घोटाले उजागर हो जाएंगे।
कंपनियों ने दिखाया RDF में गड़बड़
कंपनियों ने 18–20% RDF के बजाय 6–8% दिखाया गया है, जिससे साफ है कि इनके द्वारा बड़ा खेल किया गया है। साथ ही ठेकेदारों और अधिकारियों का भी गठजोड़ साफ उजागर हुआ है।
एनजीटी ने भी उठाया था सवाल
डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट माने तो 20 जनवरी, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में कचरा प्रबंधन पर सुनवाई के दौरान बेंच ने न केवल प्रयागराज नगर निगम की आलोचना की, बल्कि यह भी सवाल किया कि प्रयागराज में सालों से पड़ा दशकों पुराना कचरा (विरासत में पड़ा कचरा) अचानक कहां गायब हो गया। एमसी मेहता मामले पर एनजीटी की सुनवाई की अध्यक्षता चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव ने की।
सुनवाई के दौरान नगर निगम के जवाबों से असंतुष्ट पीठ ने कहा, “छह महीने पहले मैंने प्रयागराज में लाखों टन कचरे के ढेर देखे थे, अचानक वह कहां चला गया?” पीठ ने निगम के वकील से कहा, आपने छह महीने में 14 लाख टन पुराने कचरे का निपटान करने का दावा किया है, अगर यह सच है, तो हमें बताएं कि इतने कम समय में इतनी बड़ी मात्रा में कचरे का प्रबंधन कैसे किया गया? दिल्ली में सालों से पड़े कचरे को साफ करने के लिए इस पद्धति को क्यों नहीं अपनाया गया?