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Defense Corridor Land Scam : लखनऊ के तत्कालीन डीएम समेत इन अफसरों पर गाज गिरनी तय, पाई-पाई होगी वसूल

यूपी की राजधानी लखनऊ में डिफेंस कॉरिडोर (Defense Corridor) के लिए भटगांव में जमीन अधिग्रहण घोटाला (Land Acquisition Scam) हुआ है। इसके लिए तत्कालीन डीएम समेत अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों पर शीघ्र गाज गिरनी तय है। राजस्व विभाग ने जांच समिति की रिपोर्ट और सिफारिशों को शासन को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दिया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में डिफेंस कॉरिडोर (Defense Corridor) के लिए भटगांव (Bhatgaon) में जमीन अधिग्रहण घोटाला (Land Acquisition Scam) हुआ है। इसके लिए तत्कालीन डीएम समेत अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों पर शीघ्र गाज गिरनी तय है। राजस्व विभाग ने जांच समिति की रिपोर्ट और सिफारिशों को शासन को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दिया है। इसमें लखनऊ के तत्कालीन डीएम समेत राजस्व विभाग, भूमि अध्याप्ति कार्यालय और उप निबंधक कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है। इसके साथ ही जांच समिति (Inquiry Committee) ने दोषियों से वसूली के लिए भी कहा है।

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बताते चलें कि यह घोटाला डिफेंस कॉरिडोर परियोजना (Defense Corridor Project) के लिए जमीन की खरीद- फरोख्त में किया गया था। पिछले साल राजस्व परिषद (Revenue Board) के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. रजनीश दुबे (Dr. Rajneesh Dubey) की अध्यक्षता में गठित समिति ने मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है। जांच समिति (Inquiry Committee) ने पाया है कि 28 जनवरी 1985 की पट्टा आवंटन की फाइल फर्जी है। इस पत्रावली में 90 व्यक्तियों के नाम के पट्टे दर्ज दिखाए गए हैं।

कथित आवंटन के 35-36 वर्ष बाद राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से अधिनियम एवं नियमों में दी गई प्रक्रिया का पालन न कर पहले असंक्रमणीय भूमिधर के रूप में खत्तौनी में नाम दर्ज किए गए हैं। इतना ही नहीं राजस्व संहिता की धारा 76 (3) के तहत 5 वर्ष पूरे हुए बिना उन्हें असंक्रमणीय से संक्रमणीय भूमिधर दर्ज कर दिया गया है। कुछ अनुसूचित के पट्टेदारों की भूमि गैर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को बेचने की अनुमति नियमविरुद्ध ढंग से तथ्यों को छिपाकर प्राप्त कर ली गई। नतीजतन, साजिश के तहत ग्राम समाज की भूमि का मुआवजा प्राप्त किया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संबंधित राजस्व अधिकारी अधिनियमों व नियमों के अनुरूप कार्रवाई करते तो 1985 के कथित आवंटन की असलियत भी आसानी से पता चल जाती और ग्राम समाज की भूमि खुर्द- बुर्द न हो पाती।

क्रय समिति के अध्यक्ष और सचिव विशेष रूप से जिम्मेदार

रिपोर्ट में कहा गया है कि प‌ट्टों के फर्जी आवंटन के आधार पर वर्ष 2020 में राजस्व रिकॉर्ड में कुछ भूमिधर के रूप में दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। असंक्रमणीय से संक्रमणीय घोषित करने की कार्रवाई फरवरी 2021 में की गई। क्रय समिति के अध्यक्ष के में जिलाधिकारी और सदस्य सचिव के रूप में तहसीलदार सरोजनीनगर ने खाकर अपने दायित्वों का पालन नहीं किया।

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जांच समिति ने जमीन अधिग्रहण घोटाले में डिफेंस कॉरिडोर के आवंटियों और यूपीडा के हितों को सुरक्षित रखने की संस्तुति

जांच समिति (Inquiry Committee) ने सरोजनीनगर तहसील (Sarojininagar Tehsil) के भटगांव (Bhatgaon)  में जमीन अधिग्रहण घोटाले (Land Acquisition Scam) में डिफेंस कॉरिडोर (Defense Corridor) के आवंटियों और यूपीडा (UPDA) के हितों को सुरक्षित रखने की संस्तुति भी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीडा ने जनहित में डिफेंस कॉरिडोर (Defense Corridor) के लिए भूमि खरीदी है। इस भूमि में थर्ड पार्टी के हित भी जुड़ चुके हैं, इसलिए उनके हित सुरक्षित रखना आवश्यक है।

जांच रिपोर्ट में इनके नाम

रिपोर्ट में कहा गया है कि साजिश के तहत अभिलेखों में कथित आवंटियों के नाम दर्ज करने के लिए लेखपाल रमेश चंद्र प्रजापति व हरिश्चंद्र, राजस्व निरीक्षक राधेश्याम, अशोक सिंह, रत्नेश सिंह व जितेंद्र कुमार सिंह, रजिस्ट्रार कानूनगो नैन्सी शुक्ला, तत्कालीन तहसीलदार उमेश सिंह, जानेंद्र द्विवेदी, ज्ञानेंद्र सिंह व विजय कुमार सिंह और तत्कालीन उपजिलाधिकारी सूर्यकांत त्रिपाठी, डॉ. संतोष कुमार, आनंद कुमार सिंह, देवेंद्र कुमार व शंभु शरण प्रथमदृष्टया जिम्मेदार हैं। अभिलेखों का परीक्षण किए बिना जमीन बिक्री की अनुमति देने के लिए तत्कालीन अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अमर पाल सिंह प्रथमदृष्टया उत्तरदायी हैं। रजिस्ट्रार कार्यालय से संबद्ध तत्कालीन लेखपाल ज्ञान प्रकाश अवस्थी को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। नायब तहसीलदार के रूप में कविता ठाकुर व मनीष त्रिपाठी के भी संबंधित पत्रावलियों पर हस्ताक्षर हैं।

जांच समिति ने की हैं ये संस्तुतियां

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■1985 की कूटरचित भू आवंटन पत्रावली में दर्ज 90 व्यक्तियों में से 11 व्यक्तियों के नाम राजस्व अभिलेखों में नहीं हैं। इनके नाम दर्ज न करना डीएम सुनिश्चित करें।

■ जिन 79 लोगों के नाम गलत ढंग से दर्ज हैं, उनके नाम निरस्त कराए जाएं। जमीन ग्राम समाज के खाते में दर्ज हो।

■ जिन व्यक्तियों ने इस जमीन को दूसरों को बेचा, वे विक्रय पत्र वैध नहीं।

■ डिफेंस कॉरिडोर के लिए भूमि खरीदी गई है। कार्यवाही के समय यूपीडा और अग्रेतर आवंटियों के हित सुरक्षित रखे जाएं।

∎ जिन व्यक्तियों ने कथित आवंटित भूमि का अनुबंध यूपीडा के पक्ष में किया और मुआवजा लिया, उन क्रेता- विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए धनराशि की वसूली की जाए।

∎ मामले में संक्रमणीय और असंक्रमणीय भूमिधर अधिकार देने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। अगर कार्यवाही प्रचलित है, तो उसे आगे बढ़ाया जाए।

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■ मामले में अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को भूमि बिक्री की अनुमति देने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

■ उप निबंधक, सरोजनीनगर लखनऊ कार्यालय के कर्मचारियों व अधिकारियों के विरुद्ध सक्षम स्तर से’ अनुशासनात्मक कार्रवाई कराई जाए।

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