सनातन धर्म में आदि शक्ति की पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के शक्तिपीठों के उद्भव और उनकी महत्ता की कथाओं का पाठ करना और सुनना बहुत फलदायी माना जाता है। देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक ढाकेश्वरी देवी की पूजा विधि विधान से की जाती है।
Dhakeshwari Temple Bangladesh: सनातन धर्म में आदि शक्ति की पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के शक्तिपीठों के उद्भव और उनकी महत्ता की कथाओं का पाठ करना और सुनना बहुत फलदायी माना जाता है। देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक ढाकेश्वरी देवी की पूजा विधि विधान से की जाती है।
बांग्लादेश का ढाकेश्वरी मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है। यह देश का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भी है। यहां ढाकेश्वरी देवी की पूजा होती है, जो देवी दुर्गा का अवतार मानी जाती हैं। हिंदू समुदाय देवी ढाकेश्वरी को ढाका की पीठासीन देवी मानते हैं और इसलिए वो ढाकेश्वरी मंदिर में आदि शक्ति की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि इन्हीं देवी के नाम पर ढाका का नाम पड़ा है। इस मंदिर को बांग्लादेश के राष्ट्रीय मंदिर का दर्जा हासिल है।
ढाकेश्वरी मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था और इसे सेन वंश के राजा बल्लाल सेन ने बनवाया था। मंदिर का नाम “ढाकेश्वरी” का मतलब है “ढाका की देवी”, जो दर्शाता है कि यह मंदिर ढाका शहर की संरक्षक देवी को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह सबसे पवित्र शक्तिपीठों में से एक है, जहां देवी सती के मुकुट की मणि गिरी थी। देवी ढाकेश्वरी से मतलब ‘छिपी हुई देवी’ है क्योंकि मंदिर घने जंगल से ढका हुआ था (बंगाली में ढाका)।इसे ढाका की सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा माना जाता है। मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण किया गया है, जिसमें 17वीं शताब्दी में मुगल काल के दौरान और 19वीं शताब्दी में धनी हिंदू व्यापारियों द्वारा किया गया निर्माण शामिल है।
बांग्लादेश दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो मुस्लिम देश होने के बाद भी हिंदू मंदिर को राष्ट्रीय मंदिर का दर्जा देता है. रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय मंदिर होने के नाते मुख्य मंदिर परिसर के बाहर बांग्लादेश का झंडा फहराया जाता है।