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इंग्लैंड चैंपियंस ट्रॉफी में अफगानिस्तान का नहीं करेगा बॉयकॉट, ECB बोला- अकेले क्रिकेट समुदाय अफगानी समस्याओं से नहीं निपट सकता

England vs Afghanistan Champions Trophy 2025 Match: अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के आने के बाद महिलाओं की स्थिति बेहद खराब होती चली जा रही है। पड़ोसी मुल्क की सरकार ने कई तरह के नियम बना दिये हैं, जिनके कारण महिलाओं की आजादी खतरे में पड़ गयी है। यहां तक कि खेलों में महिलाओं की हिस्सेदारी पर पाबंदी लगा दी गयी है। जिसका कई बार विरोध करते हुए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने अफगानिस्तान की पुरुष टीम के खिलाफ खेलने से इंकार भी किया। हालांकि, इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड का मानना है कि अकेले क्रिकेट समुदाय अफगानिस्तान की इस समस्या से नहीं निपट सकता।

By Abhimanyu 
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England vs Afghanistan Champions Trophy 2025 Match: अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के आने के बाद महिलाओं की स्थिति बेहद खराब होती चली जा रही है। पड़ोसी मुल्क की सरकार ने कई तरह के नियम बना दिये हैं, जिनके कारण महिलाओं की आजादी खतरे में पड़ गयी है। यहां तक कि खेलों में महिलाओं की हिस्सेदारी पर पाबंदी लगा दी गयी है। जिसका कई बार विरोध करते हुए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने अफगानिस्तान की पुरुष टीम के खिलाफ खेलने से इंकार भी किया। हालांकि, इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड का मानना है कि अकेले क्रिकेट समुदाय अफगानिस्तान की इस समस्या से नहीं निपट सकता।

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दरअसल, 19 फरवरी से शुरू हो रहे चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में इंग्लैंड और अफगानिस्तान को ऑस्ट्रेलिया व साउथ अफ्रीका के साथ ग्रुप बी में रखा गया है। वहीं, इंग्लैंड और अफगानिस्तान की टीमें 26 फरवरी को टूर्नामेंट में आमने सामने होंगी। लेकिन, इंग्लैंड में अफगानी महिलाओं की समस्या के विरोध में इस मैच का बॉयकॉट करने की मांग उठ रही थी। वहां कई राजनेताओं ने अफगानिस्तान के खिलाफ मैच का विरोध किया था। यहां तक कि साउथ अफ्रीका के खेल मंत्री गेटन मैकेंजी ने भी इसका समर्थन किया था। हालांकि, इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने इस बात की पुष्टि की है कि इंग्लैंड की टीम अफगानिस्तान के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी का मैच खेलेगी।

ईसीबी के अध्यक्ष रिचर्ड थॉम्पसन ने कहा, ‘वे सरकार, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) और खिलाड़ियों के साथ विचार-विमर्श के बाद मैच खेलेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अकेले क्रिकेट समुदाय अफगानिस्तान की समस्याओं से नहीं निपट सकता।’ थॉम्पसन ने एक बयान में कहा, ‘हमने सुना है कि कई आम अफगानी नागरिकों के लिए उनकी क्रिकेट टीम को खेलते देखना ही मनोरंजन के कुछ बेहद कम बचे साधनों में से एक बचा है। हम यह कंफर्म कर सकते हैं कि हम ये मुकाबला खेलेंगे।’

बता दें कि साल 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता में फिर से तालिबान की वापसी के बाद से वहां पर महिलाओं की क्रिकेट पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी। तीन साल से अधिक समय हो चुका है, लेकिन अफगानिस्तान की महिला टीम मैदान पर नहीं उतर सकी है। हालांकि, आईसीसी के नियमों के अनुसार, जो भी देश पुरुष क्रिकेट खेल रहे हैं उन्हें महिला क्रिकेट को भी बढ़ावा देना है और कम से कम अपनी एक टीम तो जरूर रखनी है।

इस मामले में तालिबान का कहना है कि वे इस्लामी कानून और स्थानीय रीति-रिवाजों की अपनी व्याख्या के अनुसार महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करते हैं और ये आंतरिक मामले हैं जिन्हें स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जाना चाहिए।

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