मणिपुर में बीते करीब डेढ़ महीने से हिंसा जारी है। तमाम कोशिशों के बाद भी हालात बेकाबू हैं। इसी बीच नेशनल पीपुल्स पार्टी ( NPP) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वाई जॉयकुमार सिंह ने बड़ा बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि अगर आने वाले दिनों में स्थिति नहीं सुधरी तो हम बीजेपी के साथ अपने गठबंधन पर फिर से विचार करेंगे। एनपीपी ( NPP) बीजेपी (BJP) के साथ अपने समीकरणों पर फिर से विचार करने को मजबूर हो जाएगी।
नई दिल्ली। मणिपुर में बीते करीब डेढ़ महीने से हिंसा जारी है। तमाम कोशिशों के बाद भी हालात बेकाबू हैं। इसी बीच नेशनल पीपुल्स पार्टी ( NPP) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वाई जॉयकुमार सिंह ने बड़ा बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि अगर आने वाले दिनों में स्थिति नहीं सुधरी तो हम बीजेपी के साथ अपने गठबंधन पर फिर से विचार करेंगे। एनपीपी ( NPP) बीजेपी (BJP) के साथ अपने समीकरणों पर फिर से विचार करने को मजबूर हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि हम मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि मणिपुर में अनुच्छेद 355 लागू है। इसलिए यहां के लोगों की सुरक्षा करना राज्य और केंद्र की जिम्मेदारी है लेकिन हिंसा से निपटने के लिए कोई उचित योजना नहीं बनाई जा रही है। फिलहाल हालात में सुधार के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था बिगड़ती जा रही है।
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह (Union Minister of State for External Affairs Rajkumar Ranjan Singh) के घर पर भीड़ ने हमला कर दिया। उनके घर पर बमके हुए। आज आरके रंजन को निशाना बनाया गया है, कल सभी विधायक, बीजेपी के मंत्री और फिर सहयोगी दलों को निशाना बनाया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के दौरे के बावजूद हालात में कुछ खास बदलाव नहीं आया। पार्टी की साख दांव पर है, लोग सवाल पूछ रहे हैं। मणिपुर में अभी दोहरा नियंत्रण है। यहां राज्य या केंद्र सरकार, किसका नियंत्रण है, इस बात को लेकर राज्य में भ्रम की स्थिति है। कौन प्रभारी है? यह भी स्पष्ट होना चाहिए, नहीं तो स्थिति में सुधार नहीं आएगा।
उन्होंने कहा कि हमने सीएम को अपना ज्ञापन सौंप दिया है कि क्या कदम उठाए जाने की जरूरत है। मामले को शुरुआत में ही बेहतर तरीके से हैंडल किया जाना चाहिए था। प्रतिक्रियात्मक होने के बजाय सुरक्षा बलों को सक्रिय करने की जरूरत थी। एक उचित योजना बनाने की जरूरत है। हम इस पर विचार करेंगे कि गठबंधन में बने रहना है या विपक्ष के साथ जाना है। उन्होंने बताया कि सरकार को संवेदनशील क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए था। बलों की कोई कमी नहीं है फिर भी हाईवे खोलने को लेकर कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही है। शांति समिति एक बच्चे की तरह है। मनोनीत सदस्यों का कहना है कि वे समिति का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। शांति समिति कुल 51 लोगों हैं, जो एक बहुत बड़ी संख्या है।
‘सेना और RAF ने संभाला मोर्चा’
भीड़ ने विधायक बिस्वजीत के घर में आग लगाने की कोशिश की। हालांकि, आरएएफ ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया।वहीं, सिंजेमाई में आधी रात के बाद भीड़ ने बीजेपी कार्यालय को घेर लिया, लेकिन कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकी। यहां सेना के एक दस्ते ने तितर-बितर कर दिया। इसी तरह, इंफाल में पोरमपेट के पास आधी रात में बीजेपी (महिला विंग) की अध्यक्ष शारदा देवी के घर में भीड़ ने तोड़फोड़ करने की कोशिश की। सुरक्षाबलों ने युवकों को खदेड़ दिया।
हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा की जान गई
बता दें कि मणिपुर में एक महीने पहले मैतेई और कुकी समुदाय के बीच झड़पें और फिर भड़की थी। इस जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। यहां मैतेई समुदाय अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग कर रहा है, इसके विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था। पहली बार 3 मई को झड़पें हुईं। 11 जिलों में कर्फ्यू, इंटरनेट भी बंद दरअसल, मणिपुर में मैतई की आबादी करीब 53 प्रतिशत है। ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी – नागा और कुकी – आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं। राज्य सरकार ने अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए 11 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया है और इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मणिपुर में पूर्ण बहुमत में है बीजेपी
मणिपुर विधानसभा चुनाव (Manipur Assembly Election) की 60 सीटों में से बीजेपी का 32 सीटों पर कब्जा है। बीजेपी यहां पूर्ण बहुमत हैं। हालांकि उसने नेशनल पीपुल्स पार्टी , नगा पीपुल्स फ्रंट (NNP) से गठबंधन किया हुआ है। एनपीपी (NNP) के पास सात सीटें और नगा पीपुल्स फ्रंट के पास पांच सीटें हैं। वहीं जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने पांच सीटों, कुकी पीपुल्स अलायंस को दो सीटों और जनता दल (यूनाइटेड) ने छह सीटों पर कब्जा किया हुआ है। इसके अलावा प्रदेश में तीन निर्दलीय विधायक भी है।