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महाराष्ट्र विधानसभा के विशेष सत्र में सर्वसम्मति से मराठा आरक्षण बिल पारित

महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) ने मंगलवार को शिक्षा और नौकरियों में कोटा के लिए मराठा आरक्षण विधेयक पारित (Maratha Reservation Bill Passed) कर दिया है। यह कानून शिक्षा और सरकारी नौकरियों दोनों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की वकालत करता है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) ने मंगलवार को शिक्षा और नौकरियों में कोटा के लिए मराठा आरक्षण विधेयक पारित (Maratha Reservation Bill Passed) कर दिया है। यह कानून शिक्षा और सरकारी नौकरियों दोनों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की वकालत करता है।

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दरअसल, मराठा आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) की सरकार ने महाराष्ट्र विधानमंडल का विशेष सत्र (Special Session of Maharashtra Assembly) बुलाया था। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) और अजित पवार भी मुख्यमंत्री के साथ मौजूद थे। सरकार का मकसद है कि अन्य समुदायों के लाभों को प्रभावित किए बिना मराठा समुदाय को स्थायी आरक्षण प्रदान किया जाए।

महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा विधेयक 2024, एक बार अधिनियमित होने के बाद, कार्यान्वयन के एक दशक के बाद समीक्षा से गुजरेगा। महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक दिन के लिए विशेष विधानसभा सत्र आयोजित किया जिसमें ‘मराठा आरक्षण’ प्रमुख एजेंडा था। पिछले हफ्ते सीएम शिंदे ने दावा किया था कि उनकी सरकार अन्य समुदायों के आरक्षण में किसी भी तरह का बदलाव किए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण देगी।

जारंगे पाटिल के नेतृत्व में मराठा समुदाय ओबीसी श्रेणी के तहत शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा था। हालाकि, कुंभी श्रेणी के तहत आरक्षण की गारंटी पर महाराष्ट्र सरकार के भीतर आपत्ति है, वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने इसका विरोध किया है। इसके साथ, महाराष्ट्र में शिंदे सरकार ने राज्य विधानमंडल के एक विशेष सत्र में मराठों के लिए आरक्षण को 50% से ऊपर बढ़ा दिया। मराठा आरक्षण विधेयक सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 के समान है, जिसे तत्कालीन सीएम देवेंद्र फड़नवीस द्वारा पेश किया गया था।

महाराष्ट्र में पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10% कोटा है जिसमें मराठा सबसे बड़े लाभार्थी हैं, जो 85% आरक्षण का दावा करते हैं। अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुनील शुक्रे की अध्यक्षता वाले महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग (एमबीसीसी) द्वारा राज्य सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण बढ़ाया गया है। शुकरे ने शुक्रवार को मराठा समुदाय के सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन पर एक रिपोर्ट सौंपी, जिसके लिए उन्होंने केवल नौ दिनों की अवधि के भीतर लगभग 2.5 करोड़ घरों का सर्वेक्षण किया था।

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समिति ने शिक्षा और नौकरियों में मराठों के लिए 10% आरक्षण का प्रस्ताव रखा। विशेष रूप से, 2021 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र में कॉलेज प्रवेश और नौकरियों में मराठों के लिए आरक्षण को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि समग्र आरक्षण पर 50% के उल्लंघन को उचित ठहराने के लिए कोई असाधारण परिस्थितियाँ नहीं थीं। राज्य ने समीक्षा याचिका दायर की, जिसे भी खारिज कर दिया गया। इसके बाद उसने सुधारात्मक याचिका दायर की।

मनोज जरांगे ने जताई निराशा, कहा -यह मराठा समुदाय के साथ धोखा

इस बीच मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि सरकार का यह फैसला चुनाव और वोटों को ध्यान में रखकर लिया गया है। यह मराठा समुदाय के साथ धोखा है। मराठा समुदाय आप पर भरोसा नहीं करेगा। हमारा फायदा तभी होगा, जब हमारी मूल मांगें पूरी की जाएं। इस आरक्षण से काम नहीं चलेगा। सरकार अब झूठ बोलेगी कि आरक्षण दे दिया गया है।

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