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Mosquito Drone: इस देश ने बनाया मच्छर की साइज वाला ड्रोन, युद्ध में मचाएगा तबाही!

Mosquito Drone: तकनीकी विकास ने आज युद्ध लड़ने के तरीके को बिलकुल बदल दिया है, जहां पर दुश्मन पर हमले के लिए सैनिकों की जगह पर मिलिट्री वेपन का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें मानव रहित ड्रोन तकनीक ने काफी सफलता हासिल की है। हाल ही के यूक्रेन-रूस यद्ध, इजरायल-गाजा युद्ध और भारत-पाकिस्तान संघर्ष में ड्रोन का खूब इस्तेमाल किया गया। वहीं, इजरायल-ईरान के बीच चीन ने एक ऐसा ड्रोन बनाया है, जो बिना किसी के नजर में आए दुश्मन के खेमे में घुसकर तबाही मचा सकता है।

By Abhimanyu 
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Mosquito Drone: तकनीकी विकास ने आज युद्ध लड़ने के तरीके को बिलकुल बदल दिया है, जहां पर दुश्मन पर हमले के लिए सैनिकों की जगह पर मिलिट्री वेपन का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें मानव रहित ड्रोन तकनीक ने काफी सफलता हासिल की है। हाल ही के यूक्रेन-रूस यद्ध, इजरायल-गाजा युद्ध और भारत-पाकिस्तान संघर्ष में ड्रोन का खूब इस्तेमाल किया गया। वहीं, इजरायल-ईरान के बीच चीन ने एक ऐसा ड्रोन बनाया है, जो बिना किसी के नजर में आए दुश्मन के खेमे में घुसकर तबाही मचा सकता है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी (NUDT) की रोबोटिक्स लैब के वैज्ञानिकों ने मच्छर जीतने आकार का एक माइक्रो मिलिट्री ड्रोन बनाया है, जो सर्विलांस के साथ-साथ छिपकर टोही मिशन को अंजाम दे सकता है। युद्ध के दौरान चीन की सेना इस ड्रोन के जरिए दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रख सकती है। साथ ही खुफिया जानकारी को भी हासिल किया जा सकता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, चीन के हुनान प्रांत में स्थित NUDT के रोबोटिक्स लैब के रिसर्चर ने इस कॉम्पैक्ट ड्रोन को मिलिट्री और डिफेंस के लिए तैयार किया है।

रिपोर्ट के अनुसार, इस माइक्रो ड्रोन का आकार और डिजाइन मच्छर की तरह ही है, जिसकी वजह से इसे ‘Mosquito Drone’ भी कहा जा रहा है। इस माइक्रो ड्रोन के प्रोटोटाइप को चीन के सेंट्रल टेलीविजन मिलिट्री चैनल CCTV 7 पर डिस्प्ले किया गया। यूनिवर्सिटी के एक रिसर्चर ने बताया कि यह ड्रोन एक तरह का रोबोट है, जिसे मिनिएचर बायोनिक रोबोट कहा जाता है। इसमें दो छोटे-छोटे (विंग्स) पंख दिए गए हैं, जो बिलकुल एक मच्छर के पंख की तरह दिखते हैं। इसमें बाल जितने पतले तीन पैर भी हैं और इसकी लंबाई महज 1.3 सेंटीमीटर है। ड्रोन को स्मार्टफोन के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है।

माइक्रो ड्रोन की क्षमताओं की बात करें तो इसमें नेविगेशन के लिए Rubble समेत कई तरह के सेंसर दिए गए हैं, जो वातावरण के कंडीशन, एयर क्वालिटी, वाटर क्वालिटी आदि को माप सकते हैं। हालांकि, पेलोड की क्षमता बहुत कम या सीमित और फ्लाइट टाइम कम होना इसकी खामियों में शामिल हैं। यह छोटी बैटरी की वजह से लंबी उड़ान भरने में असक्षम है। इसकी बैटरी लाइफ को सेंसर टेक्नोलॉजी में सुधार किया जाएगा। इसके अलावा, AI बेस्ड फीचर्स भी जोड़े जा सकते हैं।

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