मध्य प्रदेश के शहडोल जिला (Shahdol District) के शिक्षा विभाग (Education Department) ने भ्रष्टाचार में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इस बिल को स्कूल शिक्षा विभाग के ज़िला शिक्षा अधिकारी ने अप्रूव भी कर दिया है। प्रदेश में भले ही ज्ञान की गंगा बह रही हो, लेकिन इस वायरल बिल ने साबित कर दिया कि भ्रष्टचार की गंगा जरूर बह रही है।
शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल जिला (Shahdol District) के शिक्षा विभाग (Education Department) ने भ्रष्टाचार में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इस बिल को स्कूल शिक्षा विभाग के ज़िला शिक्षा अधिकारी ने अप्रूव भी कर दिया है। प्रदेश में भले ही ज्ञान की गंगा बह रही हो, लेकिन इस वायरल बिल ने साबित कर दिया कि भ्रष्टचार की गंगा जरूर बह रही है।
बता दें कि मध्यप्रदेश का शिक्षा विभाग (Education Department of Madhya Pradesh) में एक गजब का घोटाला सामने आया है। शहडोल के स्कूल की रंगाई-पुताई व मरम्मत के नाम पर ही घोटाला कर दिया गया। दरअसल, इस बात की पोल सोशल मीडिया पर वायरल बिल से खुली। स्कूल में 24 लीटर पेंट करने में तीन लाख रुपये खर्च करने का बिल पास हुआ है और संबंधित जिम्मेंदारों ने सरकारी राशि को निकालकर इसी हिसाब से खर्च भी कर लिया है।
ब्यौहारी के शासकीय हाईस्कूल संकदी में घोटाला
यह घोटला जिले के ब्यौहारी विकासखंड (Byawahari Development Block) की शासकीय हाईस्कूल संकदी (Government High School Sankadi) और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपनिया (Higher Secondary School Nipania) में किया गया है। इंटरनेट मीडिया में बिल प्रसारित होने के बाद कलेक्टर डा. केदार सिंह (Collector Dr. Kedar Singh) के संज्ञान में यह मामला आया तो उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मारपाची (District Education Officer Phool Singh Marpachi) को नोटिस देकर जबाब मांगा है और संबंधित स्कूलों के जिम्मेदारों से राशि वसूली करने के आदेश जारी किए गए है।
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
इसी के साथ कलेक्टर ने यह भी आदेश दिया कि जितने स्कूलों में इस तरह मरम्मत व रंगाई-पोताई के नाम राशि खर्च की गई है, सभी की जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
मालूम हो कि हाई स्कूल सक्कन्दी में 4 लीटर आयल पेंट की खरीद की गई थी, जिसकी कीमत 784 बताई गई है (196 रुपये प्रति लीटर), लेकिन इस पेंट को दीवार में लगाने के लिए 168 मजदूरों और 65 मिस्त्रियों से काम करना बताया गया, जिसमें उनको मजदूरी का भुगतान 1,06,984 रुपये किया गया है।
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कारनामा
यह खर्च केवल 4 लीटर पेंट लगाने के लिए किया गया है। इसी तरह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपानिया में 20 लीटर पेंट खरीदी की गई और इसकी पोताई के लिए 275 मजदूरों और 150 मिस्त्रियों को लगाया गया, जिनका कुल भुगतान 2,31,650 रुपये किया गया। इस खर्च में खिड़कियों और दरवाजों की रंगाई का भी खर्च शामिल है,जो 20 लीटर पेंट के मुकाबले कहीं अधिक है।
उल्लेखनीय है कि इन दोनों मामलों में एक ही ठेकेदार सुधाकर कंस्ट्रक्शन का नाम सामने आया है।खास बात यह है कि दोनों बिल 5 मई 2025 में कटे हैं और इसी आधार पर भुगतान प्राप्त हुआ है। बिलों पर संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्य और जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर और सरकारी सील भी लगी हुई है, जो कि यह साबित करती है कि शिक्षा विभाग के शिक्षक से लेकर अधिकारी तक इस घोटाले के हिस्सेदार हैं।
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मारपाची (District Education Officer Phool Singh Marpachi) का कहना है कि ऐसा कैसे हुआ? इसकी जांच कराई जाएगी। वहीं हाईस्कूल सकंदी के प्राचार्य सुग्रीव शुक्ला (Principal of High School Sakandi Sugriv Shukla) ने कोई प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया।
शहडोल कलेक्टर, बोले-जिहोंने भुगतान किया है,उनसे राशि वसूल कराई जाएगी
शहडोल कलेक्टर डा.केदार सिंह (Shahdol Collector Dr. Kedar Singh) ने कहा कि मुझे जैसे जानकारी लगी तो मैने प्रारंभिक जांच कराया तो अधिक भुगतान पाया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer ) को नोटिस दिया है और जिहोंने भुगतान किया है,उनसे राशि वसूल कराई जाएगी।साथ वैधानिक कार्रवाई भी होगी।वहीं और भी स्कूलों के बिलों की जांच होगी।’