कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार गंभीर आरोप लगाया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के 30 करोड़ पॉलिसीधारकों की बचत का अडानी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए "व्यवस्थित रूप से दुरुपयोग" किया गया। कांग्रेस ने संसद की लोक लेखा समिति से इस बात की जांच करने की मांग की कि एलआईसी को इस समूह में निवेश करने के लिए कैसे "मजबूर" किया गया।
नई दिल्ली। कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार गंभीर आरोप लगाया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के 30 करोड़ पॉलिसीधारकों की बचत का अडानी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए “व्यवस्थित रूप से दुरुपयोग” किया गया। कांग्रेस ने संसद की लोक लेखा समिति से इस बात की जांच करने की मांग की कि एलआईसी को इस समूह में निवेश करने के लिए कैसे “मजबूर” किया गया। कांग्रेस के आरोपों पर अडानी समूह या सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
मीडिया में हाल ही में कुछ परेशान करने वाले खुलासे सामने आए हैं कि किस तरह मोदानी जॉइंट वेंचर ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और उसके 30 करोड़ पॉलिसी धारकों की बचत का दुरुपयोग किया।
दस्तावेज़ बताते हैं कि भारतीय अधिकारियों ने मई 2025 में एक ऐसा प्रस्ताव तैयार किया, जिसके तहत LIC… pic.twitter.com/kpBGMB2RYW
— Congress (@INCIndia) October 25, 2025
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश (Congress general secretary in-charge of communications Jairam Ramesh) ने कहा कि मीडिया में हाल ही में परेशान करने वाले खुलासे हुए हैं। उन्होंने कहा कि कैसे “मोदानी संयुक्त उद्यम ने एलआईसी और उसके 30 करोड़ पॉलिसीधारकों की बचत का व्यवस्थित रूप से दुरुपयोग किया? उन्होंने कहा कि आंतरिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि भारतीय अधिकारियों ने मई 2025 में अडानी समूह की विभिन्न कंपनियों में एलआईसी के लगभग 33,000 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव तैयार किया और उसे आगे बढ़ाया।
उन्होंने कहा कि कथित लक्ष्य अडानी समूह में विश्वास का संकेत देना” और “अन्य निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना” था। जयराम रमेश ने कहा कि अब सवाल उठता है? किसके दबाव में वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारियों ने यह फैसला किया कि उनका काम आपराधिक गतिविधियों के गंभीर आरोपों के कारण वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रही एक निजी कंपनी को बचाना है? श्री रमेश ने कहा कि क्या यह ‘मोबाइल फ़ोन बैंकिंग’ का एक सामान्य मामला नहीं है?”
मोदानी महाघोटाले में नवीनतम खुलासों पर हमारा बयान: LIC द्वारा ‘अडानी समूह पर भरोसा दिखाने’ के नाम पर 33,000 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन का जबरन दुरुपयोग किया गया है। pic.twitter.com/Yp51EHDx7X
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 25, 2025
कांग्रेस नेता ने कहा कि “जनता का पैसा क्रोनी फर्मों पर खर्च करने” की कीमत तब स्पष्ट हो गई जब 21 सितंबर, 2024 को गौतम अडानी और उनके सात सहयोगियों पर अमेरिका में अभियोग लगाए जाने के बाद, एलआईसी को केवल चार घंटे के कारोबार में “7,850 करोड़ रुपये का भारी नुकसान” हुआ।
श्री रमेश ने कहा कि अडानी पर भारत में महंगे सौर ऊर्जा ठेके हासिल करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये की रिश्वतखोरी की योजना बनाने का आरोप है। मोदी सरकार लगभग एक साल से प्रधानमंत्री के सबसे पसंदीदा व्यावसायिक समूह को अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) का समन भेजने से इनकार कर रही है।
अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के तरफ से लगाए गए आरोपों के बाद, शेयर बाज़ारों में अडानी समूह के शेयरों में आई गिरावट के बाद से कांग्रेस लगातार सरकार पर हमला बोल रही है। अडानी समूह ने कांग्रेस और अन्य द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया है और कहा है कि वह सभी कानूनों और प्रकटीकरण आवश्यकताओं का पालन करता है।
श्री रमेश ने आगे दावा किया, “मोदानी महाघोटाला बहुत व्यापक है। उदाहरण के लिए, इसमें शामिल हैं: ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करके अन्य निजी कंपनियों को अपनी संपत्तियाँ अडानी समूह को बेचने के लिए मजबूर करना।”
श्री रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि केवल अडानी समूह के लाभ के लिए हवाई अड्डों और बंदरगाहों जैसी महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा संपत्तियों का “धोखाधड़ी से निजीकरण” किया गया। उन्होंने विभिन्न देशों, विशेष रूप से भारत के पड़ोसी देशों में अडानी समूह को ठेके दिलाने के लिए राजनयिक संसाधनों के कथित दुरुपयोग की ओर इशारा किया।
3,42,51,36,00,000 रुपए
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नरेंद्र मोदी ने अपने दोस्त अडानी को इतने रुपए LIC से निकालकर दिए।
LIC में आपका पैसा लगा है, जनता का पैसा लगा है। मोदी ने जनता का पैसा अपने दोस्त पर लुटा दिया।
क्या न्यूज चैनल ये खबर दिखाएंगे? क्या MODANI के इस भ्रष्टाचार की बात होगी?
— Congress (@INCIndia) October 25, 2025
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस घोटाले में अडानी के करीबी सहयोगियों नासिर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग द्वारा “अधिक कीमत पर कोयले का आयात” भी शामिल है, जिसका इस्तेमाल फर्जी कंपनियों के मनी-लॉन्ड्रिंग नेटवर्क के माध्यम से किया गया, जिससे गुजरात में अडानी बिजलीघरों से प्राप्त बिजली की कीमतों में भारी वृद्धि हुई।
श्री रमेश ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में चुनाव-पूर्व बिजली आपूर्ति समझौतों पर असामान्य रूप से ऊँची कीमतों और हाल ही में चुनावी राज्य बिहार में एक बिजली संयंत्र के लिए कथित तौर पर 1 रुपये प्रति एकड़ की दर से भूमि आवंटन का भी हवाला दिया। “मोदानी महाघोटाले की पूरी जांच केवल संसद की एक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा ही की जा सकती है, जिसकी मांग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस लगभग तीन वर्षों से कर रही है – जब से हमने अपनी 100 प्रश्नों वाली श्रृंखला “हम अदानी के हैं कौन” (HAHK) प्रकाशित की थी।
उन्होंने आगे कहा कि पहले कदम के तौर पर, अब कम से कम संसद की लोक लेखा समिति (PAC) को इस बात की पूरी जांच करनी चाहिए कि LIC को अदानी समूह में निवेश करने के लिए कैसे मजबूर किया गया? रमेश ने कहा कि यह उसके अधिकार क्षेत्र में होगा।