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उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जानें राहुल से अखिलेश तक कौन-कौन पहुंचे?

अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की जीत के बाद शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (SKICC) में उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah)  ने पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की जीत के बाद शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (SKICC) में उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah)  ने पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है।

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जम्मू-कश्मीर को उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) के रूप में पूरे 10 साल बाद नया मुख्यमंत्री मिल गया है। उनके शपथ ग्रहण समारोह में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव सहित INDIA ब्लॉक के कई दिग्गज शामिल हुए। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की नई अब्दुल्ला कैबिनेट में विधायक मंत्रियों ने भी शपथ ले ली। हालांकि, कांग्रेस ने पहले ही साफ कर दिया था कि उनका कोई भी विधायक आज कैबिनेट की शपथ नहीं लेगा। यह समारोह शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (SKICC) में हुआ। आज मंत्री के रूप में सतीश शर्मा, सकीना इटू, जावेद डार, सुरिंदर चौधरी, जावेद राणा और जावेद डार ने भी शपथ ली।

शपथ से पहले उमर अब्दुल्ला बोले- राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से पहले उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है, जो अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन मैंने हमेशा यह कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में हमारा दर्जा अस्थायी है। भारत सरकार से हमें यह वादा मिला है कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैं 6 साल का कार्यकाल पूरा करने वाला आखिरी मुख्यमंत्री था। अब मैं केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का पहला मुख्यमंत्री बनूंगा। 6 साल तक सेवा की, मैं इससे काफी खुश हूं। मुझे उम्मीद है कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है। हम लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं और ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करके शुरू करना होगा। बहुत कुछ करना है, लोगों को एक हौसला देना है कि उनकी हुकूमत है, उनकी आवाज सुनी जाएगी। 5-6 साल हो गए कोई लोगों को सुनने के लिए तैयार नहीं था। हमारा फर्ज बनेगा कि हम उनकी बात सुने और उस पर अमल करें। हमारी कोशिश रहेगी कि हम लोगों के उम्मीदों के बराबर आएं।’

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