लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के सहित विभिन्न निकायों के एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Former President Ramnath Kovind) की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने आज ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation One Election) पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।
नई दिल्ली। लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के सहित विभिन्न निकायों के एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Former President Ramnath Kovind) की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने आज ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation One Election) पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। यह रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) को सौंपी गई है।
रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने राष्ट्रपति भवन (President’s House) में द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) से मुलाकात की। इस दौरान समित ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation One Election) पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) को सौंपी। रिपोर्ट 18,626 पन्नों की है। इसमें पिछले 191 दिनों के हितधारकों, विशेषज्ञों और अनुसंधान कार्य के साथ व्यापक परामर्श का नतीजा शामिल है।
इन लोगों ने किया दावा
इससे पहले, समिति के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर इस बात की पुष्टि की थी कि समिति 2029 में एक साथ चुनाव कराने का सुझाव देगी। साथ ही इससे संबंधित प्रक्रियात्मक और तार्किक मुद्दों पर चर्चा करेगी समिति के एक दूसरे सदस्य ने भी नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि समिति का मानना है कि उसकी सभी सिफारिशें सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध होनी चाहिए, लेकिन यह सरकार पर निर्भर है कि वह उन्हें स्वीकार या अस्वीकार करे।
दूसरे सदस्य ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष (Chairman of the 15th Finance Commission) एनके सिंह (NK Singh) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्राची मिश्रा (Prachi Mishra of International Monetary Fund) द्वारा एक साथ चुनावों की आर्थिक व्यवहार्यता पर एक पेपर शामिल है। रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक वित्तीय और प्रशासनिक संसाधनों का भी उल्लेख किया जाएगा। आयोग ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों सहित विभिन्न हितधारकों से प्राप्त फीडबैक पर विचार किया है।
इसलिए बंद हुआ था एक साथ चुनाव कराना
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट में 1951-52 और 1967 के बीच तीन चुनावों के डाटा का इस्तेमाल किया गया है। यहां यह तर्क दिया गया है कि एक पहले की तरह अब भी एक साथ चुनाव करना संभव है। बताया गया कि एक साथ चुनाव कराना तब बंद हो गया था जब कुछ राज्य सरकारें अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गिर गई थीं या उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था, जिससे नए सिरे से चुनाव कराने की आवश्यकता पड़ी।
करीब छह महीने पहले सौंपा गया था काम
‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation One Election) वाली कोविंद समिति देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के अंतिम पांच अनुच्छेदों में संशोधन की सिफारिश कर सकती है। प्रस्तावित रिपोर्ट लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए एक एकल मतदाता सूची पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। पिछले सितंबर में गठित समिति को मौजूदा संवैधानिक ढांचे को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए संभावनाएं तलाशने और सिफारिशें करने का काम सौंपा गया है।
सरकारी अधिसूचना में कहा गया था कि समिति तुरंत काम करना शुरू करेगी और जल्द से जल्द सिफारिशें करेगी, लेकिन रिपोर्ट जमा करने के लिए कोई समय-सीमा निर्दिष्ट नहीं की गई थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Former President Ramnath Kovind) की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने के फैसले ने विपक्षी गुट इंडिया को आश्चर्यचकित कर दिया था और एक सितंबर को मुंबई में अपना सम्मेलन आयोजित किया था।
विपक्षी गठबंधन ने इस फैसले को देश के संघीय ढांचे के लिए ‘खतरा’ करार दिया था। समिति में लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी सदस्य हैं। विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति (Law Minister Arjun Ram Meghwal Committee) की बैठकों में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल हुए, जबकि विधि सचिव नितेन चंद्रा समिति (Law Secretary Niten Chandra Committee) के सचिव हैं। समिति संविधान, जनप्रतिनिधित्व कानून और किसी भी अन्य कानून और नियमों में विशिष्ट संशोधनों की जांच और सिफारिश करेगी, जिसमें एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य से संशोधन की आवश्यकता होगी।