सनातन धर्म में पौष मास का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता के अनुसार, इस महीने में भगवान विष्णु और सूर्य देव की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
सूर्य को अर्घ्य
मान्यता है कि इस माह में पिंडदान और तर्पण करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस माह लोग हर रविवार को सूर्य देव का व्रत रखते और उन्हें अर्घ्य देकर तिल-चावल की खिचड़ी का भोग लगाते हैं।
सूर्य उपासना
पूस मास में सूर्य देव की पूजा के लिए तांबे के बर्तन में जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। सूर्य मंत्र ‘ऊं सूर्याय नम:’ का जाप करें। रविवार को व्रत रखें और तिल-चावल की खिचड़ी का दान करें। व्रत का पारण शाम को मीठे भोजन से करें। सूर्य देव को जीवन का स्रोत माना जाता है ।
सूर्य उपासना का फल
सूर्य की उपासना से समृद्धि, सुख-शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त, यह आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है, जिससे व्यक्ति की मानसिक स्थिति मजबूत होती है।