HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. बायोमेट्रिक उपस्थिति के विरोध में पीएचडी स्टूडेंट्स ने लखनऊ विश्वद्यालय के प्रशासनिक भवन का किया घेराव

बायोमेट्रिक उपस्थिति के विरोध में पीएचडी स्टूडेंट्स ने लखनऊ विश्वद्यालय के प्रशासनिक भवन का किया घेराव

लखनऊ विश्वद्यालय प्रशासन (Lucknow University Administration) ने पीएचडी (PhD) के सभी विद्यार्थियों के लिए बायोमीट्रिक उपस्थिति (Biometric Attendance) अनिवार्य कर दी है। इसके विरोध में सोमवार को पीएचडी स्टूडेंट्स (PhD Students) लखनऊ विश्वद्यालय (Lucknow University) के प्रशासनिक भवन का घेराव किया।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। लखनऊ विश्वद्यालय प्रशासन (Lucknow University Administration) ने पीएचडी (PhD) के सभी विद्यार्थियों के लिए बायोमीट्रिक उपस्थिति (Biometric Attendance) अनिवार्य कर दी है। इसके विरोध में सोमवार को पीएचडी स्टूडेंट्स (PhD Students) लखनऊ विश्वद्यालय (Lucknow University) के प्रशासनिक भवन का घेराव किया। बता दें कि अभी तक यह जूनियर रीसर्च फेलोशिप (JRF) विद्यार्थियों के लिए था।

पढ़ें :- पीएचडी प्रवेश के लिए नेट स्कोर से छात्रों को कई प्रवेश परीक्षाओं में बैठने की आवश्यकता खत्म हो जाएगी : UGC

शोधार्थी हिंदी विभाग सिद्धांत दीक्षित ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बायोमेट्रिक की जो व्यवस्था की जा रही है। वह किसी भी प्रकार से शोधार्थी और शोध उद्देश्यों के हित में नहीं है। बायोमेट्रिक होने के बाद शोध कार्य एक औपचारिकता मात्र बनकर रह जाएगा। शोध के साथ-साथ सभी शोधार्थी आगामी भविष्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करते हैं इस उद्देश्य से भी शोधार्थियों की बायोमेट्रिक हाजिरी के दूरगामी परिणाम अत्यंत चिंतिनीय होंगे। अतः विश्वविद्यालय प्रशासन से निवेदन है कि असंवेदनशील फैसले को वापस लिया जाए।

शोधार्थी हिंदी विभाग अंजनी शर्मा कहा कि हमारा विश्वविद्यालय प्रशासन से यह अनुरोध है कि इस नियम को शोधा छात्रों के हित में रद्द करें। ताकि शोधार्थी अपने शोधकार्य सुचारू रूप से संचालित कर सकें। विश्वविद्यालय के मुखिया कुलपति के सान्निध्य में विश्वविद्यालय ने नये आयाम स्थापित किए हैं। शोधकार्य के दौरान कई शोधार्थी उच्च शिक्षा सहित अन्य सरकारी पदों पर चयनित हुए हैं, जो विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है। इस नियम के बाद शोधार्थी अपने भविष्य को लेकर ही चिंतित रहेंगे।

उन्होंने कहा कि बायोमेट्रिक अटेंडेंस से हमारा शोधकार्य तो प्रभावित होगा ही साथ ही हमारा करियर भी चौपट हो जाएगा। जब राज्य के किसी भी केंद्रीय अथवा राज्य विश्वविद्यालय में यह नहीं लागू हैं तो यहां ही क्यों? बायोमेट्रिक से शोधार्थी केवल अटेंडेंस तक ही सीमित होकर रह जाएगा तथा शोधकार्य की गुणवत्ता प्रभावित होगी। विश्वविद्यालय से सम्बद्ध रायबरेली, हरदोई, लखीमपुर, सीतापुर आदि के महाविद्यालयों में भी शोधार्थी शोधरत हैं जिनको इससे काफी परेशानी झेलनी पड़ेगी।

शोधार्थी भौतिक विभाग राज ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बायोमेट्रिक की जो व्यवस्था की जा रही है। वह किसी भी प्रकार से शोध परक नहीं है और साथ ही शोध उदेश्यों के हित में नहीं है। बायोमेट्रिक होने के बाद शोध कार्य एक औपचारिकता मात्र बनकर रह जाएगा। शोध के साथ-साथ सभी शोधार्थी आगामी भविष्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करते हैं इस उद्देश्य से भी शोधार्थियों की बायोमेट्रिक हाजिरी के दूरगामी परिणाम अत्यंत चिंतिनीय होंगे।साथ ही अन्य प्रकार के Charcatersition (सैंपल टेस्ट) करवाने के लिए दूर के प्रदेश की लैब मे जाना पड़ता है,वहाँ पर पूर्व के कार्य होने के करना कई दिनों तक Apparatus की अनुपलब्धता के कारण लैब मे रुकना पड़ता है अतः विश्वविद्यालय प्रशासन से निवेदन है कि असंवेदनशील फैसले को वापस लिया जाए।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...