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रेरा चेयरमैन संजय भूसरेड्डी ने एक कमेटी में बेटे की ही करवा दी तैनाती, ऐसे कारनामों से टूटता है जनता का भरोसा

रियल एस्टेट (Real Estate) की डिफॉल्टर घोषित परियोजनाओं से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाले नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के आदेशों का अध्ययन करने के लिए उप्र भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (UP RERA) के तरफ से गठित कमेटी में रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी (RERA Chairman Sanjay Bhusreddy) के बेटे जयश भूसरेड्डी (Jayesh Bhusreddy) को शामिल करने पर संस्था के कामकाज में पारदर्शिता सवाल उठ रहे हैं।

By संतोष सिंह 
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लखनऊ : उप्र भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण (UP RERA) जैसी संस्था जनता के हितों की रक्षा के लिए बनी है। रियल एस्टेट (Real Estate) की डिफॉल्टर घोषित परियोजनाओं से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाले नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के आदेशों का अध्ययन करने के लिए उप्र भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (UP RERA) के तरफ से गठित कमेटी में रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी (RERA Chairman Sanjay Bhusreddy) के बेटे जयश भूसरेड्डी (Jayesh Bhusreddy) को शामिल करने पर संस्था के कामकाज में पारदर्शिता सवाल उठ रहे हैं।

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हालांकि, मामला तूल पकड़ने पर इस आदेश को एक हफ्ते में रद्द करने का दावा किया जा रहा है। बताते चलें कि रियल एस्टेट की डिफॉल्टर 196 कंपनियों के मामले एनसीएलटी (NCLT) में विचाराधीन हैं। इनमें यूपी की राजधानी लखनऊ व एनसीआर (NCR) समेत कई शहरों में काम कर रहीं बड़ी कंपनियां शामिल हैं। इनके प्रकरण का अध्ययन करने व उनका पक्ष एनसीटीएल (NCLT) में रखने के लिए पिछले दिनों यूपी रेरा (UP RERA)  ने एक कमेटी बनाई थी। इसमें रेरा अध्यक्ष के बेटे जयश भूसरेड्डी (Jayesh Bhusreddy)  को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया था।

17 मार्च को यूपी रेरा के तत्कालीन सचिव प्रमोद कुमार उपाध्याय के तरफ से जारी पत्र के मुताबिक इस कमेटी में मुख्यालय में तैनात दो लॉ क्लर्क मृदुल तिवारी और ईशा अस्थाना के साथ अधिवक्ता जयश भूसरेड्डी को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में रखा गया। कमेटी का काम एनसीएलटी (NCLT) द्वारा कंपनियों से जुड़े दिवालिया और वसूली संबंधी आदेशों का अध्ययन कर रेरा में प्रस्तुतीकरण करना था। कमेटी के तरफ से तैयार प्रस्तुतीकरण को विधि सलाहकार के माध्यम से रेरा सचिव के सामने पेश करना था।

इस मामले में यूपी रेरा के तत्कालीन सचिव ने कहा कि रेरा में नियमों और आदेशों को लेकर ट्रेनिंग होती रहती है। इस संबंध में 17 मार्च को ट्रेनिंग पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन (PPT) के तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। इसमें दो लॉ क्लर्क के साथ जयेश भूसरेड्डी (Jayesh Bhusreddy)  को शामिल किया गया। जयश को एनसीएसलटी (NCLT) के जानकार के रूप में जोड़ा गया था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि एक हफ्ते में इस आदेश को रद्द कर दिया गया।

संस्था के कामकाज में पारदर्शिता पर खड़े कर दिया सवाल : दीपक द्विवेदी

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रेरा मामलों के वरिष्ठ विधिक सलाहकार दीपक द्विवेदी (Senior Legal Advisor for RERA matters Deepak Dwivedi) ने कहा कि प्राधिकरण का अध्यक्ष होने के नाते कोई भी अपने बेटे या सगे संबंधियों को किसी भी समिति में शामिल नहीं कर सकता। ये नियम विरुद्ध है और इस प्रक्रिया में तय मानदंडों की अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम ने संस्था के कामकाज में पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि समिति का गठन अस्पष्ट आदेश के साथ किया गया था जिसमें कानूनी प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था।

यूपी में  196 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट डिफॉल्टर, 10 हजार करोड़ के 20 हजार फ्लैट फंसे

यूपी में 196 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट डिफॉल्टर होकर एनसीएलटी (NCLT)  में हैं। डिफॉल्टर परियोजनाओं में करीब 20 हजार फ्लैट फंसे हैं। इनकी न्यूनतम कीमत 10 हजार करोड़ रुपये है। ये प्रोजेक्ट नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ, आगरा, मेरठ, कानपुर सहित कई शहरों में हैं। इन प्रोजेक्ट्स पर बैंकों, फाइनेंस कंपनियों, कच्चे माल के सप्लायरों और आवंटियों ने मुकदमा भी ठोका है। रेरा में पंजीकृत ऐसी परियोजनाओं में जेपी की 41, सुपरटेक की 35, अजनारा की 17, लॉजिक्स की 11, आरजी ग्रुप की 8, अंसल्स की 7, आईवीआर प्राइम की 6, बीसीसी इंफ्रा की 3, अर्थ की 2, थ्री सीज और एटीएस की 1-1 हैं। शेष 64 परियोजनाएं अन्य ग्रुपों की हैं।

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