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Sarbananda Sonowal Jeevan Parichay : असम के दिग्गज राजनीतिज्ञ सर्बानंद सोनोवाल को रफ्तार-रोमांच से है प्यार , छात्र नेता से सीएम और 3 बार बने केंद्रीय मंत्री

असम की सुरम्य घाटियों से प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश की संसद तक सफर तय करने वाले दिग्गज राजनीतिज्ञ सर्बानंद सोनोवाल को रफ्तार और सफेद रंग से गहरा लगाव है।  सांसद सर्बानंद सोनोवाल, एक तेज तर्रार छात्र नेता थे और जिन्होंने कई बाधाओं को पार कर मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Sarbananda Sonowal Jeevan Parichay : असम की सुरम्य घाटियों से प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश की संसद तक सफर तय करने वाले दिग्गज राजनीतिज्ञ सर्बानंद सोनोवाल को रफ्तार और सफेद रंग से गहरा लगाव है।  सांसद सर्बानंद सोनोवाल, एक तेज तर्रार छात्र नेता थे और जिन्होंने कई बाधाओं को पार कर मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया। छात्र राजनीति के उतार-चढ़ाव से लेकर तीन बार मंत्री बनने तक सोनोवाल की राजनीतिक यात्रा रोमांच से भरी रही है।

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सर्बानंद सोनोवाल ने यूं तय किया राजनीतिक सफर

एक तेज तर्रार छात्र नेता के रूप में सोनोवाल राज्य की सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी, असम गण परिषद (AGP) में शामिल हो गए और बाद में भाजपा में शामिल हो गए। पूर्वोत्तर में खास कर असम में भगवा पार्टी को जमाने वाले नेता के रूप में सर्बानंद सोनोवाल की राजनीति को जाना जाता है। सोनोवाल असम के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी की स्पष्ट पसंद थे। सोनोवाल के नेतृत्व में  भगवा पार्टी ने 2016 में पहली बार पूर्वोत्तर में जीत हासिल की थी।सोनोवाल का राजनीति में प्रवेश अखिल असम छात्र संघ (AASU) में शामिल होने के साथ शुरू हुआ, जहां वे 1992 से 1999 तक इसके अध्यक्ष रहे और 1996 से 2000 तक नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (NESO) के अध्यक्ष भी रहे।

एएएसयू से वे 2001 में असम गण परिषद (AGP) में शामिल हो गए, जिसकी स्थापना छात्र संगठन में उनके पूर्व वरिष्ठों ने की थी, और वे 2001 में ऊपरी असम के मोरन निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के विधायक चुने गए।

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2004 में उन्होंने सफलतापूर्वक लोकसभा चुनाव लड़ा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पबन सिंह घाटोवार को हराकर पहली बार कांग्रेस से डिब्रूगढ़ संसदीय सीट छीन ली। जनवरी 2011 में एजीपी छोड़ दी थी और एक महीने बाद तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गए थे। 2012 में भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष बने और 2014 के संसदीय चुनावों में पार्टी की सीटों की संख्या चार से बढ़ाकर सात करने का श्रेय सोनोवाल को दिया जाता है।

‘बराक-ब्रह्मपुत्र-मैदान-पहाड़ियां’
विधि स्नातक  सोनोवाल को एक ईमानदार राजनेता माना जाता है, जिन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ पार्टी की लड़ाई को आगे बढ़ाया। असम की घाटियों से गहरा लगाव रखते हुए  राजनीतिज्ञ सर्बानंद ने अपने बार-बार दोहराए जाने वाले वाक्य ‘बराक-ब्रह्मपुत्र-मैदान-पहाड़ियां’ के साथ स्थानीय समुदायों को एकजुट किया, जो राज्य की विविध स्वदेशी आबादी को एकजुट करने वाले के रूप में उनकी भूमिका का प्रतीक है। सोनोवाल वर्तमान में केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री हैं। इसके अतिरिक्त, वे लोकसभा में डिब्रूगढ़ सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद भी हैं।

सर्बानंद सोनोवाल व्यक्तिगत जीवन

पूरा नाम – सर्बानंद सोनोवाल
जन्म तिथि –31 अक्टूबर 1961 (आयु 63)
जन्म स्थान- मोलोकगांव ,जिला- डिब्रूगढ़ (असम)
 दल का नाम- भारतीय जनता पार्टी
शैक्षणिक योग्यता- सर्बानंद सोनोवाल ने डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से बी.सी.जे. किया और गौहाटी विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. किया।
 पिता का नाम – स्वर्गीय जिबेश्वर सोनोवाल
 मां का नाम – स्वर्गीय दिनेश्वरी सोनोवाल

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रोचक तथ्य
सर्बानंद सोनोवाल के बारे में रोचक तथ्य कॉलेज के दिनों में उन्होंने मिस्टर डिब्रूगढ़ स्ट्रांग मैन का खिताब जीता था। हाई स्पीड कार और बाइक के दीवाने हैं।

सर्बानंद असम के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले पहले भाजपा नेता हैं, लेकिन दूसरे आदिवासी हैं। उन्हें मछली पकड़ने का शौक है।

सर्बानंद का पसंदीदा रंग सफेद है। उन्हें इस रंग से इतना लगाव है कि उन्होंने अपने घर की सभी दीवारों को सफेद रंग से रंगवा दिया है।

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