आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। आज शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होगा।
Sharad Purnima 2025 : आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। आज शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होगा। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की पूजा के लिए विशेष है। आज की रात को आसमान के नीचे खीर बनाकर रखने और अगले दिन प्रसाद रूप में ग्रहण करने की परंपरा है,जिससे आरोग्यता और सुख-समृद्धि मिलती है।
महारास
पौराणिक मान्यता के अनुसार, माना जाता है कि इसी रात भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था। साथ ही, यह भी मान्यता है कि इस रात धन की देवी मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं।
शुभ संयोग
आज शरद पूर्णिमा के दिन ग्रह स्थिति से शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। आज चंद्रमा के गोचर से सूर्य और चंद्रमा समसप्तक योग बनाएंगे। वहीं चंद्रमा और गुरु एक दूसरे से केंद्र भाव में होकर गजकेसरी योग भी बना रहे हैं।
रात्रि जागरण
इस दिन मध्य रात्रि तक जागना और देवी को याद करना अत्यंत फलदायी होता है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है
‘श्री सूक्त का पाठ’
शरद पूर्णिमा के दिन रात के समय श्रद्धापूर्वक माता लक्ष्मी के ‘श्री सूक्त का पाठ’ करना करना चाहिए।
दान
इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है।