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Nautanwa:चर्च में हुई विशेष प्रार्थना,आज मनाया गया पुण्य बृहस्पतिवार

गुड फ्राइडे कल, जानिए क्यों मनाया जाता है व इस दिन से जुड़ी जरूरी बातें

By विजय चौरसिया 
Updated Date

पर्दाफाश न्यूज़ ब्यूरो महराजगंज :: नौतनवा नगर स्थित क्राइस्ट द किंग चर्च में फादर सोबिन की अध्यक्षता में गुड फ्राइडे की पूर्व संध्या पुण्य बृहस्पतिवार मनाया गया। पुण्य बृहस्पतिवार के दिन इसाई समुदाय के लोग तीन विशेष रहस्यों का अनुष्ठान करते है.

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पहला-अंतिम प्यारी के समय, पवित्र यु ख्रीस्त की स्थापना,दूसरा – येशु ख्रीस्त द्वारा अपने शिष्यों के पैर धोना और पवित्र पुरोहित की स्थापना।

फादर सोबिन के बताया कि प्रभु ने अपने शिष्यों के पाँव धोकर लोगों को प्रेम, दया, और समानता के साथ ही सेवा भाव का संदेश दिया है।

चर्च के फादर सोबिन ने बारह लोगों का पैर धो कर और और धार्मिक रसूमात को अंजाम दिया। ईसा मसीह ने सबको प्यार किया और यहां तक अपने शत्रुओं को भी प्यार किया।

इस पूजा बलिदान के दौरान सिस्टर डैसी, सिस्टर मारिया, सिस्टर जयंती, सिस्टर जोसेफी, राजा, मोनू, रिकी, लीना बॉयड, मोली, थॉमस के साथ मसीह धर्मावलंबी मौजूद रहे.

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Good Friday : गुड फ्राइडे का दिन ईसाई धर्म के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। गुड फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था। जिस कारण कई लोग गुड फ्राइडे वाले दिन शोक मनाते हैं। इस साल 29 मार्च 2024 को गुड फ्राइडे और 31 मार्च 2024 को ईस्टर संडे मनाया जाएगा। इसे ग्रेट फ्राइडे, होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है। गुड फ्राइडे का पर्व मानव समाज को प्रेम, ज्ञान और अहिंसा का संदेश देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन ईसाई लोग काले रंग के कपड़े पहनकर प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हैं और कई जगह प्रभु यीशु की पदयात्रा भी निकाली जाती है। मान्यता है कि रविवार के दिन यीशु ने येरुशलन में प्रवेश किया था। विद्वानों का मत है कि 29ई को प्रभु ईसा गधे पर चढ़कर यरुशलम पहुंचे थे और लोगों ने खजूर की डालियां बताकर उनका स्वागत किया था, इसलिए इस दिन पाम संडे कहा जाता है। यहीं यरुशलम या जेरूसलम में उनके खिलाफ षड़यंत्र रचा गया और शुक्रवार को सूली पर लटका दिया गया। सूली पर लटाने की घटना को गुड फ्राइडे के नाम से जानते हैं।

प्रभु ईसा मसीह, लोगों को मानवता, एकता और अहिंसा का उपदेश देकर अच्छाई की राह पर चलने के लिए प्रेरित कर रहे थे। धार्मिक अंधविश्वास करने वाले लोगों ने उन पर राजद्रोह का आरोप लगा दिया। उन्हें मौत की सजा सुनाई गई और प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया गया। जिस दिन प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया उस दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है। प्रभु यीशु के बलिदान की वजह से इस दिन को गुड फ्राइडे कहते हैं।

गुड फ्राइडे के तीसरे दिन यानी संडे को प्रभु ईसा मसीह दोबारा जीवित हो गए और 40 दिन तक लोगों के बीच उपदेश देते रहे। उनके दोबारा जीवित होने की घटना को ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता है। गुड फ्राइडे को चर्च में उनके जीवन के आखिरी पलों को दोहराया जाता है और लोगों की सेवा की जाती है। यह शोक का दिन है। इस दिन चर्च एवं घरों से सजावट की वस्तुएं हटा ली जाती हैं।

लोग प्रभु यीशु की याद में काले वस्त्र धारण कर पदयात्रा निकालते हैं। इस दिन चर्च में कैंडल नहीं जलाई जातीं और न ही घंटियां बजाई जाती हैं। गुड फ्राइडे को लोग अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। गुड फ्राइडे को शाकाहारी और सात्विक भोजन पर जोर दिया जाता है। क्रॉस को चूमकर प्रभु ईसा मसीह को याद करते हैं।

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महराजगंज ब्यूरो प्रभारी विजय चौरसिया की रिपोर्ट

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