कहते हैं अगर किसी के अंदर अपनी मंजिल तक पहुंचने का जोश और जुनून हो तो दुनिया की कोई ताकत और कोई कमी उसे उसके लक्ष्य से डिगा नहीं सकती है। बस सिर पर अपने लक्ष्य के लिए वो जुनून होना चाहिए। ऐसे ही जोश और जुनून के बलबूते इतिहास रच डालता है।
मेरे जुनूं का नतीजा ज़रूर निकलेगा
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कहते हैं अगर किसी के अंदर अपनी मंजिल तक पहुंचने का जोश और जुनून हो तो दुनिया की कोई ताकत और कोई कमी उसे उसके लक्ष्य से डिगा नहीं सकती है। बस सिर पर अपने लक्ष्य के लिए वो जुनून होना चाहिए। ऐसे ही जोश और जुनून के बलबूते इतिहास रच डालता है। इसी जोश और जुनून का ही नतीजा है कि आज दोनो हाथ न होने के बावजूद शीतल देवी (Sheetal Devi) ने दुनिया में असंभव को संभव कर दिखाया है।
President Droupadi Murmu confers Arjuna Award, 2023 on Ms Sheetal Devi for her achievements in Para Archery. She has won:
● Three gold medals and one silver medal in the 4th Para Asian Games held in Hangzhou, China in 2023.
● One silver medal in the World Para Archery… pic.twitter.com/MYrmcwp5wp— President of India (@rashtrapatibhvn) January 9, 2024
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शीतल के इस जोश और जज्बे को पूरी दुनिया सलाम कर रही है। दुनिया की नंबर वन पैरा तीरंदाज व एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक (Gold Medal in Asian Games) जीतने वाली शीतल देवी को आज मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने अर्जुन अवॉर्ड (Arjun Award) से सम्मानित किया। सम्मान के बाद पूरा राष्ट्रपति भवन (President’s House) में तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
जम्मू कश्मीर के एक छोटे से गांव में हुआ था जन्म…
शीतल (Sheetal Devi) का जन्म 10 जनवरी, 2007 को जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के दूरदराज गांव लोई धार में एक गरीब परिवार में हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जन्म से ही उनके दोनों हाथ नहीं थे। वह फोकोमेलिया नामक बीमारी से जन्मजात पीड़ित हैं। इस बीमारी की वजह से अंग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं। तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए उन्होंने 2021 में तीरंदाजी में करियर की शुरुआत की थी।
शीतल के जन्म से ही दोनो हाथ नहीं हैं…
शीतल (Sheetal Devi) के जन्म से ही दोनो हाथ नहीं है। शीतल को जन्म से ही फोकोमेलिया नाम की बीमारी है। इस बीमारी में अंग विकसित नहीं हो पाता है। शीतल देवी (Sheetal Devi) ठीक से धनुष नहीं उठा पाती थीं, लेकिन कुछ महीने उन्होंने लगातार अभ्यास किया और इसके बाद उन्होंने उनके लिए यह सभी चीजें आसान हो गई। शीतल (Sheetal Devi) का किसी ने साथ नहीं दिया, उसके बावजूद उनके घरवालों ने पूरा साथ दिया। यही वजह है कि दोनो हाथ न होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। शीतल दोनों हाथों के बिना ही अपनी छाती के सहारे दांतों और पैर से तीरंदाजी करने वाली पहले भारतीय खिलाड़ी है। उन्होंने एक ही संस्करण में 2 स्वर्ण पदक अपने नाम कर किए हैं।
….लेकिन आर्टिफिशियल हाथ उन्हें फीट नहीं हो पाया
शीतल (Sheetal Devi) ने 2 साल पहले धनुष और बाण के साथ अभ्यास करना शुरू किया था। उन्होंने साल 2021 में पहली बार भारतीय सेना के एक युवा प्रतियोगीता में भाग लिया था। शीतल ने अपनी मेहनत, जोश और जूनून के बलबुते सभी कोच को अपनी ओर आकर्षित किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसके बाद सेना ने उनके आर्टिफिशियल हाथ के लिए बैंगलोर में मेजर अक्षय गिरीश मेमोरियल ट्रस्ट से संपर्क भी किया था, लेकिन आर्टिफिशियल हाथ उन्हें फीट नहीं हो पाया।
इसके बाद उन्होंने शरीर के ऊपरी हिस्सों को मजबूत करने पर जोर दिया। शीतल के कोच अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वेदवान ने कभी ऐसी तीरंदाजी को ट्रेनिंग नहीं दी थी, लेकिन शीतल की मेहनत देखकर उन्होंने उनकी मदद की। धीरे-धीरे प्रयास करने के बाद उन्होंने ये मकाम हासिल किया।