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असमंजस के भंवर में फंसा महागठबंधन, नामांकन के सिर्फ कुछ घंटे बाकी, अब तक सीट बंटवारा फॉर्मूला बना अनसुलझी गुत्थी

बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के दलों के बीच जहां विधानसभा सीटों का बंटवारा हो चुका है। तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के महागठबंधन (India Alliance) में सीट बंटवारे का फॉर्मूला अब तक अनसुलझी गुत्थी बना हुआ है। शुक्रवार को पहले चरण के नामांकन का अंतिम दिन है।

By संतोष सिंह 
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पटना: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के दलों के बीच जहां विधानसभा सीटों का बंटवारा हो चुका है। तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के महागठबंधन (India Alliance) में सीट बंटवारे का फॉर्मूला अब तक अनसुलझी गुत्थी बना हुआ है। शुक्रवार को पहले चरण के नामांकन का अंतिम दिन है। फिलहाल महागठबंधन के दल तितर-बितर नजर आ रहे हैं। इनके उम्मीदवार अपनी-अपनी मर्जी के चुनाव क्षेत्रों में नामांकन कर रहे हैं।

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बिहार में चुनाव दो चरणों में होने वाले हैं। पहले चरण के लिए मतदान 6 नवंबर को होगा। इस चरण में कुल 121 सीटें हैं। पहले चरण के लिए नोटिफिकेशन 10 अक्टूबर को जारी हुआ था और नामांकन की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर है। दूसरे चरण में वोटिंग 11 नवंबर को होगी। इस चरण में 122 विधानसभा सीटें शामिल हैं। दूसरे चरण के लिए अधिसूचना 13 अक्टूबर को जारी हुई थी और इस चरण के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 20 अक्टूबर है। दोनों चरणों की वोटिंग होने के बाद 14 नवंबर को वोटों की गिनती होगी और चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे।

महागठबंधन के दल असमंजस के भंवर में फंसे

पहले चरण के नामांकन के लिए अब सिर्फ 24 घंटे बाकी हैं और दूसरे चरण के नामांकन के लिए सिर्फ 4 दिन बाकी हैं। समय सीमा खत्म होने वाली है और महागठबंधन के दल असमंजस के भंवर में फंसे हुए हैं। ऐसे में इसके घटक दलों के उम्मीदवार अपनी मर्जी की सीटों पर नामांकन कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बिहार चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व कौन कर रहा है, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) या कांग्रेस के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ? यदि बिहार में महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) हैं, तो उन्होंने घटक दलों की सीटों को लेकर कोई अंतिम फैसला लेने से पहले ही खुद राघोपुर विधानसभा सीट (Raghopur Assembly Seat) से अपना नामांकन कैसे दाखिल कर दिया?

बिहार में महागठबंधन की यह स्थिति राज्य के वोटरों के बीच अच्छा संदेश देने वाली नहीं है। महागठबंधन में सीट बंटवारे का फॉर्मूला अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि एनडीए (NDA) इस मुद्दे पर सवाल क्यों उठा रहा है। कांग्रेस ने कहा है कि उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर रहे हैं और सीट बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। कांग्रेस को भरोसा है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनेगी।

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गठबंधन के दल तितर-बितर, फिर भी सरकार बनाने का भरोसा

कांग्रेस  नेता पवन खेड़ा (Congress leader Pawan Khera) ने कहा कि काम बहुत अच्छे से चल रहा है, चुनाव चिन्ह बांटे जा रहे हैं। जिन्हें नामांकन दाखिल करना है, वे कर भी रहे हैं। प्रक्रिया शुरू हो गई है। बहुत जल्द, पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है। एनडीए सवाल क्यों उठा रहा है? उन्हें अपने बारे में सोचना चाहिए।

बुधवार, 15 अक्टूबर को कांग्रेस चुनाव समिति (Congress Election Committee) की बैठक के बाद बिहार के लिए कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू (Congress in-charge Krishna Allavaru) ने कहा था कि पार्टी जल्द ही बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करेगी। उन्होंने कहा था कि, हमारी प्राथमिकता वाली सीटों को सीईसी की बैठक में मंजूरी मिल गई है। महागठबंधन में स्पष्टता है।

नेता को सिर्फ अपने नामांकन की चिंता!

महागठबंधन के प्रमुख दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी बुधवार को राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल कर दिया। इससे पहले वामपंथी पार्टी सीपीआई-एमएल (CPI-ML) 18 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है और उनमें से कई प्रत्याशियों ने अपने नामांकन दाखिल कर दिए हैं।

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महागठबंधन अब तक अपना सीट-बंटवारे का फॉर्मूला तय नहीं कर पाया है। जबकि एनडीए के दल, बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (आर), हम और आरएलएम लगभग उन सभी सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं जिन पर वे चुनाव लड़ रहे हैं।

महागठबंधन का नेतृत्व सवालों के घेरे में

पहले चरण के विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर है, जबकि दूसरे चरण के लिए यह 20 अक्टूबर है। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए मतदान 6 नवंबर और 11 नवंबर को होगा, और वोटों की गिनती 14 नवंबर को की जाएगी।

महागठबंधन में अनिश्चितता की स्थिति नेतृत्व विहीनता दर्शा रही है। यह स्थिति इसके दलों के बीच विवाद बढ़ाने वाली है। इसके साथ-साथ इन हालात का विधानसभा चुनाव के परिणामों पर भी असर हो सकता है। वास्तव में महागठबंधन अपनी कार्यशैली के कारण ही सत्ताधारी एनडीए को सवाल उठाने, हमले करने का मौका दे रहा है।

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