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Navratri Special: मां दुर्गा के हाथ में सुदर्शन चक्र, शंख और त्रिशूल और अन्य अस्त्र शस्त्र का है ये महत्व

मां के आठ हाथ में अलग अलग अस्त्र शस्त्र हैं। सभी देवताओं ने देवी दुर्गा को अपने सर्वोत्तम हथियार देकर उन्हें संहाररुपिणी के रुप में अलंकृत किया था। इन हथियारों को प्राप्त कर मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का संहार किया था। इसलिए मां दुर्गा के हाथों इन अस्त्र शस्त्र को शक्ति का प्रतीक माना गया है।

By प्रिन्सी साहू 
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Navratri Special: आज नवरात्रि का चौथा दिन है। नवरात्रि मां दुर्गा की पूजा और शक्ति की अराधना का त्यौहार है। जिसे पूरे नौ दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। मां दुर्गा को हिंदू धर्म में शक्ति की देवी माना गया है। जो बुराइयों का नाश और असुरों का संहार करती है। मां दुर्गा का जन्म असुरों के संहार के लिए हुआ था। मां दुर्गा सिंह की सवारी करती है और उनके आठ हाथ है। इसलिए देवी दुर्गा को अष्टभुजाधारी और महिषासुरमर्दिनी भी कहा जाता है। मां के आठ हाथ में अलग अलग अस्त्र शस्त्र हैं। सभी देवताओं ने देवी दुर्गा को अपने सर्वोत्तम हथियार देकर उन्हें संहाररुपिणी के रुप में अलंकृत किया था। इन हथियारों को प्राप्त कर मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का संहार किया था। इसलिए मां दुर्गा के हाथों इन अस्त्र शस्त्र को शक्ति का प्रतीक माना गया है।

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मां दुर्गा की तर्जनी में सुदर्शन चक्र है। भगवान श्री कृष्ण ने मां दुर्गा को अपना सबसे प्रिय अस्त्र दिया था। जो इस बात का प्रतीक है कि पूरी दुनिया उनके अधीन है। पूरी सृष्टि का संचालन मां स्वयं कर रही है।

मां दुर्गा के पहले ऊपरी हाथ में शंख है, जिसे खुशी का प्रतीक माना गया है। इसकी ध्वनि से स्वर्ग, नरक और नश्वर की सभी बुरी शक्तियां भयभीत होती है। मां दुर्गा को शंख वरुण देव से प्राप्त हुआ था।

मां दुर्गा के चौथे बाएं निचले हाथ में त्रिशूल है जोकि उनका सबसे शक्तिशाली हथियार है। इसी त्रिशुल से मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। त्रिशूल को साहस का प्रतीक है। त्रिशूल का तीन भाग गुणों की सीख है जो सत्य, तम और रज।

मां दुर्गा दूसरे बाएं निचले हाथ में तीर धनुष धारण किए हुए है जो ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है। इसका प्रयोग मां ने असुरों से युद्ध करते समय किया था। मां दुर्गा को पवन देव से तीर धनुष प्राप्त हुआ था।

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मां दुर्गा के दूसरे दाहिने निचले हाथ में तलवार है, जोकि बुराई के उन्मूलन और बुद्धि का प्रतीक है। कहा जाता है कि, भगवान गणेश ने मां दुर्गा को तलवार भेंट की थी।

देवी दुर्गा के तीसरे निचले बाएं हाथ में कमल का फूल है, जोकि वैराग्य का प्रतीक है। इससे हमें यह सीख मिलती है कि, मानव को बाहरी दुनिया से लगाव के बिना दुनिया में रहना चाहिए। जिस प्रकार कमल का फूल कीचड़ में खिलकर भी उससे अछूता रहता है। ठीक इसी तरह मनुष्यों को भी संसार में रहकर सांसारिक कीचड़, वासना, लोभ और लालच से दूर अपनी गुणवत्ता को विकसित करना चाहिए।

मां दुर्गा के दाहिने निचले हाथ में गदा है। मां दुर्गा को यमराज ने गदा प्रदान की थी, जिसे कालदंडा कहा जाता है। इसे शक्ति, निष्ठा, प्रेम और भक्ति का प्रतीक माना गया है।
मां सिंह की सवारी करती हैं, जिसे उग्रता और हिंसक प्रवृत्तियों का प्रतीक माना जाता है। माता के सिंह पर सवार होने का अर्थ यह है कि, जो उग्र या हिंसक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण पा सकता है, वही शक्ति है।

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