HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. मध्य प्रदेश
  3. दुश्मन का सफाया करने के लिए जबलपुर की गन फैक्ट्री में तेज हुआ हथियारों का उत्पादन

दुश्मन का सफाया करने के लिए जबलपुर की गन फैक्ट्री में तेज हुआ हथियारों का उत्पादन

जिस तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिति चल रही है उससे जबलपुर की इस आयुध फैक्ट्री में भी हथियारों को बनाने का काम अब तेजी से हो रहा है। आयुध क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी और पुरानी गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) या आयुध निर्माणी ने भारतीय सेना की ताकत सारंग और धनुष तोप के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए इनके उत्पादन में तेजी ला दी है।

By Shital Kumar 
Updated Date

भोपाल। भारतीय सेना के हाथ ओर अधिक मजबूत करने और दुश्मन पाकिस्तान का सफाया करने के लिए जबलपुर की गन फैक्ट्री में हथियारों का उत्पादन तेज कर दिया गया है। बता दें कि मध्यप्रदेश के जबलपुर में आयुध क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी और पुरानी गन कैरिज फैक्ट्री है।

पढ़ें :- एमपी के 94 हजार छात्र है खुश नसीब, सरकार देगी लैपटॉप के लिए 25 हजार रूपए

जिस तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिति चल रही है उससे जबलपुर की इस आयुध फैक्ट्री में भी हथियारों को बनाने का काम अब तेजी से हो रहा है। आयुध क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी और पुरानी गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) या आयुध निर्माणी ने भारतीय सेना की ताकत सारंग और धनुष तोप के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए इनके उत्पादन में तेजी ला दी है। जीसीएफ करीब आठ साल के लंबे इंतजार के बाद अब फिर से लाइट फील्ड गन (एलएफजी) का उत्पादन भी कर रही है।

जीसीएफ के पास इस वर्ष करीब 2300 करोड़ रुपये के आयुध उत्पादन का लक्ष्य है। इसमें टैंक टी-70 और टी-92 का निर्माण भी शामिल है। इसके अलावा सैन्य उपयोगी सारी प्रमुख गन के कलपुर्जे भी जीसीएफ बना रही है। फिलहाल सारंग, धनुष तोप सहित अन्य हथियारों के उत्पादन और आपूर्ति तय समय से पूर्व करने पर जोर दिया जा रहा है।

सैन्य सामान की यहीं से होती है आपूर्ति

जीसीएफ वर्ष 2010 के बाद से ही सारंग तोप, धनुष तोप और एलएफजी का उत्पादन करती रही है। विभिन्न सैन्य साजो-सामान के कलपुर्जे की आपूर्ति भी यहीं से होती रही है। भारतीय सेना की ताकत धनुष तोप आधुनिक दौर में और भी उन्नत व महत्वपूर्ण हो चली है। यह बोफोर्स का अपग्रेड वर्जन भी है। इसकी तकनीक को जीसीएफ ने उन्नत किया और इसे स्वदेशी तकनीक के आधार पर विकसित किया गया। इसी तरह, हल्की होने के कारण एलएफजी का परिवहन हमेशा से आसान रहा है। बता दें, जीसीएफ की शुरुआत वर्ष 1904 में अंग्रेजों ने की थी। यह भारतीय सेना, सशस्त्र बलों की आयुध संबंधी जरूरतों को पूरा करती है।

पढ़ें :- आठ घोड़ों की मौत, ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण मिले

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...