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UP News : इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जज एसएन शुक्‍ला पर CBI ने दर्ज किया केस, पांच साल में 165 प्रतिशत बढ़ी संपत्ति

Disproportionate Asset Case : केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने आय से अधिक संपत्ति मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के पूर्व न्यायाधीश एसएन शुक्ला (Former judge SN Shukla)के खिलाफ केस दर्ज किया है। शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने 2014-2019 के दौरान 2.5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की है। सीबीआई (CBI)  का आरोप है कि पांच सालों में उनकी 165 प्रतिशत से अधिक की संपत्ति बढ़ी (Assets Increased by 165 Percent) है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Disproportionate Asset Case : केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने आय से अधिक संपत्ति मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के पूर्व न्यायाधीश एसएन शुक्ला (Former judge SN Shukla) के खिलाफ केस दर्ज किया है। शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने 2014-2019 के दौरान 2.5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की है। सीबीआई (CBI)  का आरोप है कि पांच सालों में उनकी 165 प्रतिशत से अधिक की संपत्ति बढ़ी (Assets Increased by 165 Percent) है।

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दिसंबर 2019 में उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के तत्कालीन न्यायाधीश शुक्ला और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (Criminal Conspiracy) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई (CBI) ने तलाशी ली थी।

क्या है सीबीआई के आरोप?

सीबीआई (CBI) ने आरोप लगाया कि उसने एसएन शुक्ला (SN Shukla) के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के दस्तावेज और अन्य संपत्तियां मिली हैं। सीबीआई (CBI)  के मुताबिक, शुक्ला ने कथित तौर पर 2014 से 2019 के दौरान परिवार के सदस्यों के नाम पर 2.54 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की और आय के स्रोत पर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे सके। सीबीआई (CBI)  ने कहा कि न्यायाधीश ने जानबूझकर अवैध रूप से धन एकत्र किया और सुचिता तिवारी के नाम पर भ्रष्ट और अवैध तरीकों से संपत्ति का अर्जन किया है।

शक के दायरे में जस्टिस शुक्ला
रिपोर्ट के मुताबिक एसएन शुक्ला (SN Shukla)  के जस्टिस रहते हुए ही पीआईएमएस घूसकांड (PIMS Bribery Scandal) हुआ था। शुक्ला जुलाई 2020 में अपने पद से रिटायर हुए थे और उन पर लखनऊ स्थित मेडिकल कॉलेज (Medical College in Lucknow) के पक्ष में एक आदेश पारित करने के दौरान रिश्वत लेने का आरोप लगा था।

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रिश्वतखोरी मामले (Bribery Cases) में उनकी जांच ओडिशा उच्च न्यायालय (Odisha High Court) के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आईएम कुद्दुसी (Retired Justice IM Quddusi) , भगवान प्रसाद यादव (Bhagwan Prasad Yadav) और प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट (Prasad Education Trust) के पलाश यादव, एक मध्यस्थ, भावना पांडे और एक अन्य कथित बिचौलिए सुधीर गिरि (Alleged middleman Sudhir Giri) के साथ की जा रही थी। ऐसे में उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने के बाद सीबीआई (CBI) ने उनके खिलाफ वाद दर्ज कर लिया है।

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