मध्यप्रदेश की राजधानी में हर साल भूजल स्तर गिर रहा है और इसे लेकर न केवल नागरिकों ने बल्कि सरकारी अफसरों ने भी चिंता प्रकट की है।
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी में हर साल भूजल स्तर गिर रहा है और इसे लेकर न केवल नागरिकों ने बल्कि सरकारी अफसरों ने भी चिंता प्रकट की है। हालांकि शासन प्रशासन स्तर पर पानी की बर्बादी रोकने और पानी बचाने के लिए हर वर्ष कवायद की जाती है बावजूद इसके भूमिगत पानी का स्तर गिरने से चिंता खड़ी हो रही है।
भोपाल में बारिश की असमानता और रिचार्जिंग नहीं होने से भू-जल स्तर लगातार गिर रहा है। पिछले पांच साल के आकड़े को देखें तो राजधानी भोपाल में भूजल स्तर साल दर साल गिरता जा रहा है और संभवत: इस साल भी स्तर और नीचे जा सकता है। जो कि चिंताजनक स्थिती बन रही है।
गैर-सरकारी और निजी नलकूप खोदने पर रोक
2024 केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल जिला ‘अर्ध-महत्वपूर्ण क्षेत्र’ (सेमी क्रिटिकल एरिया) में है, जहां केवल 20.71% भूजल स्तर बचा है। भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने भोपाल ने जिले के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में 30 जून तक गैर-सरकारी और निजी नलकूप खोदने पर रोक लगा दी है। भोपाल कलेक्टर ने कहा है कि भूजल स्तर में लगातार हो रही गिरावट को रोकने के लिए 30 जून तक गैर-सरकारी और निजी नलकूप खोदने पर रोक लगा दी है।
आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा
आदेश में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की पूर्व अनुमति के बिना जिले में किसी भी नलकूप या बोरिंग मशीन के आने पर रोक लगाई गई है। खुदाई या बोरिंग करने का प्रयास करने वाली अनधिकृत मशीनों को जब्त कर लिया जाएगा और उन पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। भोपाल का भूजल स्तर ‘अर्ध-महत्वपूर्ण’ क्षेत्र (सेमी क्रिटिकल एरिया) में है उल्लंघन करने वालों के खिलाफ नियम बनाए गए हैं। उन्हें 2 हज़ार रुपये तक का जुर्माना या दो साल की जेल हो सकती है। सरकारी प्रायोजित ट्यूबवेल परियोजनाओं और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा किए गए कार्यों को छूट दी गई है। दूसरी ओर, अधिनियम की धारा 4 सार्वजनिक जल आपूर्ति के लिए नए खोदे गए निजी कुओं को जब्त करने की अनुमति देती है। नए नियम तुरंत प्रभावी हैं, जो जिले की जल आपूर्ति के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम है। 2024 के लिए केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल जिला ‘अर्ध-महत्वपूर्ण क्षेत्र’ में है, जहां केवल 20.71% भूजल स्तर बचा है।