'हर हाथ को काम' देने के लिए हमें उद्योगों को सशक्त करना होगा। उद्योगों का विस्तार अधिकाधिक रोजगार सृजन का माध्यम है। दुर्घटना की स्थिति में श्रमिकों और उनके परिवारों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें सम्मानजनक मानदेय और बीमा सुरक्षा कवच देना अनिवार्य है। श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए यूपी सरकार का प्रयास है कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा श्रमिक-हितैषी और उद्योग समर्थ राज्य बनकर उभरे।
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में श्रम एवं सेवायोजन विभाग (Labor and Employment Department) के कार्यों की समीक्षा की तथा सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रमिक और उद्योगपति एक-दूसरे के पूरक हैं, न कि प्रतिस्पर्धी। प्रदेश की औद्योगिक प्रगति तभी सम्भव है, जब श्रम कानूनों को प्रो-इंडस्ट्री और प्रो-श्रमिक दोनों दृष्टियों से संतुलित बनाया जाए। श्रम कानूनों का सरलीकरण इस प्रकार किया जाए, जिससे उद्योगों को सुविधा मिले। साथ ही, यह भी सुनिश्चित हो कि श्रमिकों के शोषण या उनके साथ अमानवीय व्यवहार की कोई सम्भावना न रहे।
उन्होंने आगे कहा, ‘हर हाथ को काम’ देने के लिए हमें उद्योगों को सशक्त करना होगा। उद्योगों का विस्तार अधिकाधिक रोजगार सृजन का माध्यम है। दुर्घटना की स्थिति में श्रमिकों और उनके परिवारों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें सम्मानजनक मानदेय और बीमा सुरक्षा कवच देना अनिवार्य है। श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए यूपी सरकार का प्रयास है कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा श्रमिक-हितैषी और उद्योग समर्थ राज्य बनकर उभरे।
साथ ही कहा, बाल श्रमिकों को आजीविका के साथ-साथ मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना और स्पॉन्सर्ड स्कीम्स से जोड़ते हुए उनके पुनर्वासन की दिशा में तीव्र गति से कार्य किया जाए। यह न केवल सामाजिक दायित्व है, बल्कि भावी पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य देने का दायित्व भी है। देश में ‘अटल आवासीय विद्यालय’ मॉडल के रूप में उभरे हैं। निरन्तर मॉनिटरिंग के माध्यम से इन आवासीय विद्यालयों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने आगे कहा, श्रमिक अड्डों को मॉडल के रूप में विकसित करते हुए इनमें डोरमेट्री, शौचालय, पेयजल, कैंटीन और ट्रेनिंग आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। कैंटीन में श्रमिकों के लिए ₹5-₹10 में चाय, नाश्ता और भोजन आदि की सुविधा सुनिश्चित की जाए। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की स्किल मैपिंग कर न्यूनतम मानदेय की गारंटी व्यवस्था लागू की जाए। यह असंगठित कार्यबल को संगठित श्रम शक्ति में बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल होगी।
विदेश में रोजगार हेतु जाने वाले निर्माण श्रमिकों को न केवल तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाए, बल्कि गंतव्य देश की भाषा का भी प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाए। यह उनकी कार्यक्षमता और सुरक्षा दोनों के लिए आवश्यक है। ‘आयुष्मान भारत योजना’ की तर्ज पर निजी अस्पतालों को कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) आदि योजनाओं से जोड़ा जाए। इससे संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।
वहीं, सीएम को अवगत कराया गया कि आजादी के बाद से वर्ष 2016 तक प्रदेश में 13,809 कारखाने पंजीकृत थे, जबकि पिछले 09 वर्षों में 13,644 नए कारखानों का पंजीकरण हुआ है। यह 99% की वृद्धि दर्शाता है। भारत सरकार के BRAP रिकमेन्डेशन के क्रियान्वयन में श्रम विभाग को अचीवर स्टेट का दर्जा प्राप्त हुआ है।