सरकार के लाख प्रयासों के बाद देश की फिजा में सांस लेना दूभर है। पिछले साल कई शहरों की हवा बेहद जहरीली रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सका है कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 15 भारत के शहर शामिल हैं। हालांकि खराब वायु गुणवत्ता वाले देशों की सूची में पिछले साल यानी 2022 की तुलना में भारत ने तीन पायदान का सुधार किया है।
नई दिल्ली। सरकार के लाख प्रयासों के बाद देश की फिजा में सांस लेना दूभर है। पिछले साल कई शहरों की हवा बेहद जहरीली रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सका है कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 15 भारत के शहर शामिल हैं। हालांकि खराब वायु गुणवत्ता वाले देशों की सूची में पिछले साल यानी 2022 की तुलना में भारत ने तीन पायदान का सुधार किया है। वहीं, चाड, इराक, पाकिस्तान, बहरीन और बांग्लादेश दुनिया के सबसे प्रदूषित देश हैं। वहीं, भारत आठवें स्थान पर पहुंचा है।
स्विस एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी कंपनी IQAir ने एक सालाना रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया है कि दुनिया के टॉप 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 38 भारत के हैं। ये रिपोर्ट बताती है कि किस कदर देश में प्रदूषण फैला हुआ है। दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर पाकिस्तान का लाहौर है। इसके बाद दूसरे स्थान पर चीन के होतान का नंबर आया है, जबकि भारत का भिवंडी तीसरे स्थान पर रहा है।
दुनिया के टॉप 20 शहर
लाहौर, पाकिस्तान
होतान, चीन
भिवंडी, भारत
दिल्ली, भारत
पेशावर, पाकिस्तान
दरभंगा, भारत
आसोपुर, भारत
नजमेना, चाड
नई दिल्ली, भारत
पटना, भारत
गाजियाबाद, भारत
धारूहेड़ा, भारत
बगदाद, इराक
छपरा, भारत
मुजफ्फरनगर, भारत
फैसलाबाद, भारत
ग्रेटर नोएडा, भारत
बहादुरगढ़, भारत
फरीदाबाद, भारत
मुजफ्फरपुर, भारत
देश में पहले नंबर पर सबसे ज्यादा प्रदूषित भिवंडी है। इसके बाद नंबर दिल्ली का आता है। राष्ट्रीय राजधानी होने की वजह से सभी का ध्यान इस शहर पर सबसे ज्यादा रहता है। दिवाली के बाद से प्रदूषण इस कदर बढ़ता है कि लोग बिना मास्क के घरों से बाहर निकले में परहेज करते हैं। पटाखों व पराली जलाने की वजह से स्मॉग आसमान में छाया रहता है।
अभी हाल ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि विकास की तेज गति और स्कूलों, अस्पतालों और फ्लाईओवरों का निर्माण होने के बावजूद भी पिछले आठ सालों में शहर में प्रदूषण का स्तर कम हुआ है। पीएम 2.5 और पीएम 10 दोनों का स्तर 2016 के आंकड़ों की तुलना में 2022 में 30 प्रतिशत गिर गया। जब भी विकास का काम किया जाता है तो उसके साथ पेड़ों की कटाई, सड़क निर्माण और धूल मिट्टी आदि के कारण प्रदूषण होता है।