Yogi Government Action : यूपी की योगी सरकार (Yogi Government) ने एक बार फिर राज्य की विकास परियोजनाओं की जमीनी हकीकत परखने जा रही है। इसके लिए वरिष्ठ IAS अधिकारियों की जिलों में फील्ड पर भेजने का निर्णय लिया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि विकास कार्यों में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके।
Yogi Government Action : यूपी की योगी सरकार (Yogi Government) ने एक बार फिर राज्य की विकास परियोजनाओं की जमीनी हकीकत परखने जा रही है। इसके लिए वरिष्ठ IAS अधिकारियों की जिलों में फील्ड पर भेजने का निर्णय लिया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि विकास कार्यों में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके।
सरकार के तरफ से जारी आदेश के मुताबिक 24 और 25 मई को यह सभी अधिकारी अपने-अपने आवंटित जिलों में निरीक्षण करेंगे। वहां चल रही 50 करोड़ रुपये या उससे अधिक लागत वाली परियोजनाओं का भौतिक सत्यापन करेंगे। इसके साथ ही, गोसेवा स्थलों, जल संरक्षण योजनाओं और स्वच्छता परियोजनाओं का भी निरीक्षण किया जाएगा। इस निरीक्षण के आधार पर 26 मई को ये सभी अधिकारी अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंपेंगे, जो राज्य सरकार के लिए आगामी रणनीति निर्धारण में सहायक होगी।
निरीक्षण का उद्देश्य और प्राथमिकताएं
यूपी सरकार (UP Government) का यह कदम विकास कार्यों में जमीनी वास्तविकता को जानने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। निरीक्षण के मुख्य उद्देश्य हैं। 50 करोड़ से अधिक की लागत की परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी कार्यों की गुणवत्ता की भौतिक पुष्टि करेंगे। समयसीमा के अनुसार परियोजनाओं की स्थिति की जानकारी। गोसेवा और जल संरक्षण जैसे सामाजिक अभियानों का समीक्षा मूल्यांकन। संबंधित अधिकारियों को उत्तरदायी बनाने की प्रक्रिया को तेज करना। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने निर्देश दिए हैं कि सभी IAS अधिकारी व्यक्तिगत रूप से संबंधित जिलों में जाकर स्थल निरीक्षण करें और कार्यों की प्रगति की रिपोर्ट बिना लाग लपेट के प्रस्तुत करें।
भ्रष्टाचार पर लगाम कसने योगी सरकार का नया प्रयोग, देखिए किसे मिली कहां की जिम्मेदारी
IAS ऋतु महेश्वरी – लखनऊ
IAS डॉ. रूपेश कुमार – प्रयागराज
IAS भवानी सिंह – फतेहपुर
IAS रविंद्र कुमार – प्रतापगढ़
IAS राम केवल- कौशांबी
IAS विजय किरन आनंद- वाराणसी
IAS अंकित कुमार अग्रवाल- जौनपुर
IAS गौरव वर्मा- चंदौली
IAS दिव्य प्रकाश गिरी – गाजीपुर
IAS प्रकाश बिंदु – मिर्जापुर
IAS जयशंकर दुबे- सोनभद्र
IAS कृष्ण कुमार गुप्ता- भदोही
IAS भूपेंद्र चौधरी- आजमगढ़
IAS शीलधर यादव- बलिया
IAS ओम प्रकाश शर्मा- मऊ
IAS शिशिर- देवरिया
IAS अरविंद कुमार चौरसिया- कुशीनगर
IAS मनोज कुमार द्वितीय- महाराजगंज
IAS सुधा वर्मा- बस्ती,
IAS संजीव सिंह- संत कबीर नगर
IAS अभिषेक सिंह- सिद्धार्थ नगर
IAS मासूम अली- सरवर गोंडा
IAS कृतिका शर्मा- बलरामपुर
IAS गरिमा यादव- श्रावस्ती
IAS प्रेरणा शर्मा- बहराइच
IAS आदर्श सिंह- अयोध्या
IAS नेहा जैन- अंबेडकर नगर
IAS संदीप कौर- बाराबंकी
IAS सी इंदुमती- सुल्तानपुर
IAS वंदना वर्मा- अमेठी
IAS बी चंद्रकला- रायबरेली
IAS चैत्रा वी- हरदोई
IAS सेल्वा कुमारी जे.- उन्नाव
IAS किंजल सिंह- सीतापुर
IAS माला श्रीवास्तव- लखीमपुर
IAS मुथुकुमार स्वामी- कानपुर
IAS कृतिका- कानपुर देहात
IAS कुणाल- फर्रुखाबाद
IAS अमित कुमार सिंह- इटावा
IAS रणविजय यादव- औरैया
IAS अर्चना वर्मा- कन्नौज
IAS प्रमोद कुमार उपाध्याय- बांदा
IAS राहुल सिंह- महोबा
IAS धीरेंद्र सिंह सचान- चित्रकूट
IAS शेषनाथ- अमरोहा
IAS अवनीश कृष्णा- मेरठ
IAS हीरालाल यादव- गाजियाबाद
IAS मानवेंद्र सिंह- हापुड़
IAS साहब सिंह- नोएडा
IAS देवेंद्र कुमार पांडेय- बुलंदशहर
IAS अवधेश कुमार तिवारी- बागपत
IAS राजेश प्रकाश- सहारनपुर
दुIAS र्गेश कुमार त्यागी- मुजफ्फरनगर
IAS राजेश कुमार त्यागी- शामली
IAS मारकंडे साहब- झांसी
IAS राजकुमार प्रथम- जालौन
IAS सुनील कुमार- ललितपुर
IAS बृजेश नारायण सिंह- आगरा
IAS कुमार प्रशांत- मथुरा
IAS अरुण प्रकाश- फिरोजाबाद
IAS टीके शिबू- मैनपुरी
IAS रमाकांत- अलीगढ़
IAS शेष मणि त्रिपाठी- हाथरस
IAS देवेंद्र कुमार कुशवाहा- एटा
IAS रघुवीर- कासगंज
IAS राजेश कुमार द्वितीय- बरेली
IAS महेंद्र बहादुर सिंह- बदायूं
IAS भानुप्रताप त्रिपाठी- पीलीभीत
IAS रजनीश चंद्र- शाहजहांपुर
IAS वैभव श्रीवास्तव- मुरादाबाद
IAS चंद्रभूषण- संभल
IAS चंद्र विजय सिंह- रामपुर
IAS डॉ. उज्जवल कुमार- बिजनौर
फील्ड निरीक्षण से संबंधित अधिकारियों की सीधी जवाबदेही तय होगी
इस व्यापक फील्ड निरीक्षण से यह स्पष्ट होता है कि सरकार अब फाइलों पर नहीं, ज़मीन पर काम देखना चाहती है। इस आदेश के पीछे सरकार की स्पष्ट मंशा है कि कागज़ी प्रगति की जगह वास्तविक विकास को प्राथमिकता दी जाए। कई बार यह देखने में आया है कि योजनाओं का बजट तो स्वीकृत हो जाता है लेकिन ग्राउंड पर काम अधूरा रहता है या गुणवत्ता में समझौता किया जाता है। फील्ड निरीक्षण से संबंधित अधिकारियों की सीधी जवाबदेही तय होगी। साथ ही रिपोर्ट के आधार पर जिन परियोजनाओं में विलंब, भ्रष्टाचार या लापरवाही पाई जाएगी, उन पर कार्रवाई की सिफारिश भी की जाएगी।