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जिया खालिदा के निधन से बांग्लादेश में बदला राजनीतिक समीकरण; चुनाव में इन्हें हो सकता है फायदा

Bangladesh Political Instability: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री जिया खालिदा का निधन हो गया है। लंबे समय से बीमार चल रहीं 80 वर्षीय खालिदा ने सुबह करीब 6:00 बजे अंतिम सांसें लीं। खालिदा का निधन ऐसे समय में हुआ है जब बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता, कट्टरवाद और हिंसा के दौर से गुजर रहा है और फरवरी 2026 में आम चुनाव होने हैं। पूर्व प्रधानमंत्री का निधन चुनाव में काफी हद तक प्रभाव डाल सकता है।

By Abhimanyu 
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Bangladesh Political Instability: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री जिया खालिदा का निधन हो गया है। लंबे समय से बीमार चल रहीं 80 वर्षीय खालिदा ने सुबह करीब 6:00 बजे अंतिम सांसें लीं। खालिदा का निधन ऐसे समय में हुआ है जब बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता, कट्टरवाद और हिंसा के दौर से गुजर रहा है और फरवरी 2026 में आम चुनाव होने हैं। पूर्व प्रधानमंत्री का निधन चुनाव में काफी हद तक प्रभाव डाल सकता है।

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दरअसल, खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान हाल ही में बांग्लादेश लौटे हैं। उनके 17 साल बाद वतन वापसी पर बीएनपी कार्यकर्ताओं ने उनका गरम जोशी से स्वागत किया और पार्टी में गज़ब उत्साह देखने को मिल रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो चुनाव से पहले खालिदा का चले जाना तारिक रहमान को सहानुभूति वोट दिला सकता है। शेख हसीना के तख़्तापलट के बाद अगले चुनाव में जिया खालिदा मजबूत प्रधानमंत्री दावेदार मानी जा रही थीं। अब उनके निधन का राजनीतिक लाभ उनके बेटे को मिल सकता है।

रिपोर्ट्स की मानें तो खालिदा की हालत बेहद नाजुक होने के बावजूद उन्होंने 29 दिसंबर को बोगरा-7 सीट से अपना नामांकन दाखिल किया था। बीएनपी ने इसके साथ तीन अन्य उम्मीदवारों को स्टैंडबाय पर रखा था। इससे पता चलता है कि पार्टी को खालिदा के स्वस्थ होने की पूरी उम्मीद थी। लेकिन, नामांकन के अगले दिन ही उनका निधन हो गया। बोगरा-7 सीट बीएनपी के लिए एक अहम चुनावी क्षेत्र रहा है, जहां से खालिदा चुनाव लड़ती और जीतती आयी हैं।

बीएनपी का सत्ता में लौटने से जमात पर लगेगी लगाम

शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध के बाद भारत के नजरिए से बीएनपी का जीतना अहम हो गया है। अगर बीएनपी जीतती है तो कट्टरपंथी विचारधारा वाले जमात-ए-इस्लामी पर लगाम लगेगी। जमात हमेशा से ही भारत विरोधी कट्टरपंथी विचारधारा के साथ आगे बढ़ता रहा है। वतन वापसी के बाद तारिक रहमान ने कहा था कि वह एक ऐसा बांग्लादेश बनाना चाहते हैं, जहां मुस्लिम, हिंदू, बौद्ध और ईसाई सब सुरक्षित हों. उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील भी की।

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