यूपी की राजधानी लखनऊ में रविवार को मॉल एवेन्यू स्थित बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) के आवास के बाहर 69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने नारेबाजी करते हुए मायावती (Mayawati) से उनके समर्थन में आने की मांग की। मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोका तो अभ्यर्थी पूर्व मुख्यमंत्री से मिलने की मांग पर अड़े रहे।
लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में रविवार को मॉल एवेन्यू स्थित बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) के आवास के बाहर 69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने नारेबाजी करते हुए मायावती (Mayawati) से उनके समर्थन में आने की मांग की। मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोका तो अभ्यर्थी पूर्व मुख्यमंत्री से मिलने की मांग पर अड़े रहे। प्रदर्शनकारियों ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती के आवास का घेराव कर जमकर नारेबाजी की। भारी संख्या में जुटे प्रदर्शनकारी बहन जी न्याय करो-सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करो के नारे लगाएं है।
बता दें कि इससे पहले शनिवार को आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के दौरान सरकार से गुहार लगाई कि सरकार आगामी 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में अपना वकील भेजें और मामले का निस्तारण कराए।
क्योंकि पिछले 15 महीने में 23 से अधिक बार सुप्रीम कोर्ट में तारीख लग चुकी है लेकिन किसी भी तारीख पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए सरकारी अधिवक्ता आज तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा नहीं भेजा गया और यही कारण है कि आज अभ्यर्थी सरकार की लचर पैरवी से नाराज होकर विभिन्न जनपदों से लखनऊ बेसिक शिक्षा मंत्री के आवास पर पहुंचे जहां उन्होंने प्रदर्शन किया लेकिन पुलिस ने उनको हिरासत में लेकर इको गार्डन भेज दिया।
आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थी जगबीर सिंह चौधरी तथा राजन जायसवाल का कहना है कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी की जगह 3.86 फीसदी तथा एससी वर्ग को 21 फीसदी की जगह 162 फीसदी आरक्षण दिया गया है । इस प्रकार इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन करके आरक्षित वर्ग की 19000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला किया गया है । यह घोटाला लखनऊ डबल बेंच ने 13 अगस्त 2024 को आदेश देकर सार्वजनिक कर दिया जिसमें उसने कहा कि आरक्षण के नियमों का पालन करते हुए 69000 सहायक शिक्षक भर्ती की लिस्ट को मूल चयन सूची के रूप में दोबारा बनाई जाए। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने ना तो लखनऊ डबल बेंच के आदेश को माना और ना ही वर्ष 2020 से कोर्ट में यांची बनकर न्याय की लड़ाई लड़ रहे। आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को याची लाभ देकर यह मामला निस्तारित किया जाए इसके लिए कोई कार्य किया ।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार की लचर पैरवी के कारण उन्हें नियुक्ति नहीं मिल पा रही है। ये अभ्यर्थी पिछले 5 वर्षों से रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं और अब सरकार से मांग कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी बात मजबूती से रखी जाए। प्रदर्शन को देखते हुए मंत्री के आवास पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स और पीएसी तैनात की गई है।