प्रदेश में करीब नौ वर्षों बाद सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के लिए बंद पदोन्नतियों का रास्ता खुलने वाला है। मंत्रालयीन कर्मचारियों को भी पहले झटके में ही पदोन्नति मिल सकती है। इसे लेकर सामान्य प्रशासन विभाग की तैयारी भी है।
भोपाल। प्रदेश में करीब नौ वर्षों बाद सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के लिए बंद पदोन्नतियों का रास्ता खुलने वाला है। सामान्य प्रशासन विभाग ने विधि एवं विधायी विभाग के अफसरों से विचार विमर्श के बाद पदोन्नति नीति का प्रारूप भी तैयार कर लिया है।
गौरतलब है कि पदोन्नति देने के मामले में सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने घोषणा की थी। इसे कैबिनेट में अंतिम रूप दिया जाएगा। मई में यह नीति कैबिनेट में प्रस्तुत करने की तैयारी है। इसके बाद पदोन्नति की प्रक्रिया विभागों में प्रारंभ हो जाएगी। जिन विभागों में अधिकारियों-कर्मचारियों की संख्या कम है, वहां पदोन्नति पहले हो सकती है। मंत्रालयीन कर्मचारियों को भी पहले झटके में ही पदोन्नति मिल सकती है।
इसे लेकर सामान्य प्रशासन विभाग की तैयारी भी है। सूत्रों के अनुसार मेरिट और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति देने की तैयारी है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अप्रैल 2016 से पदोन्नति पर सुप्रीम कोर्ट से रोक है। इन नौ वर्षों में लगभग डेढ़ लाख कर्मचारी-अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
विधि विभाग में पदोन्नति को आधार बनाकर कर्मचारी संगठनों ने शासन से सभी कर्मचारियों-अधिकारियों की पदोन्नति की मांग की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) और विधि विभाग के अधिकारियों को पदोन्नति का रास्ता निकालने के लिए कहा था। सूत्रों के अनुसार जीएडी ने इसकी तैयारी कर ली है। कुछ विभागों नें कोर्ट के निर्णय के अधीन रखते हुए कर्मचारियों-अधिकारियों को पदोन्नत कर कार्यवाहक पद तो दे दिया है, पर उन्हें आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा है। इस कारण डीपीसी कर उन्हें भी स्थायी तौर पर पदोन्नत किया जाएगा ताकि उस पद के अनुरूप लाभ मिले।