सनातन धर्म और वैदिक ज्योतिष में आर्द्रा नक्षत्र को महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नक्षत्र माना जाता है। आर्द्रा नक्षत्र रुद्र देवता से जुड़ा है, जो परिवर्तन और विनाश का प्रतीक है।
Ardra-Nakshatra Monsoon : सनातन धर्म और वैदिक ज्योतिष में आर्द्रा नक्षत्र को महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नक्षत्र माना जाता है। आर्द्रा नक्षत्र रुद्र देवता से जुड़ा है, जो परिवर्तन और विनाश का प्रतीक है। इस नक्षत्र को वर्षा ऋतु के शुभारंभ और जीवन ऊर्जा के संचार से जोड़ा जाता है। साल 2025 में आर्द्रा नक्षत्र का शुभारंभ 22 जून को दोपहर 1:54 बजे होगा और इसका प्रभाव 6 जुलाई की शाम 3:32 बजे तक बना रहेगा। इस विशेष काल में धरती पर वर्षा का आगमन होता है, और जल स्रोतों को पुन: सक्रिय करता है।
पंचांग के अनुसार, इस साल 22 जून 2025 रविवार को सूर्य देव आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। यह खगोलीय घटना हर वर्ष आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को होती है। जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो इसे पृथ्वी के रजस्वला होने की स्थिति कहा जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से इस समय से अगले 52 दिनों तक भारी वर्षा की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं।
आर्द्रा नक्षत्र ज्योतिषीय दृष्टि से मिथुन राशि के अंतर्गत आता है और इसका स्वामी राहु होता है। साथ ही, बुध का भी प्रभाव इस नक्षत्र पर रहता है, जिससे यह मानसिक चैतन्यता, ज्ञान और परिवर्तन का द्योतक बनता है। सूर्य के इस नक्षत्र में आने से वातावरण में नमी बढ़ती है, और हल्की वर्षा की शुरुआत होती है — जो आगे चलकर सफल मानसून का संकेत देती है। जिससे कृषि और पर्यावरण दोनों को लाभ होता है।
भारत के कृषि पंचांग में यह समय खेती की तैयारी के पहले चरण के रूप में जाना जाता है। इस नक्षत्र में गिरने वाली वर्षा, धरती की हलचल का आरंभिक संकेत मानी जाती है।