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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के पीछे भाजपा के अंदरूनी लड़ाई, आरएसएस का रोल भी है अहम

देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) के इस्तीफे को लेकर बीजेपी के अंदरूनी संघर्ष और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)  की भूमिका की बात सामने आ रही है। जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के इस्तीफे की घोषणा के बाद विपक्षी दलों का दावा है कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) द्वारा संसद में की गई टिप्पणी और दबाव के कारण धनखड़ ने इस्तीफा दिया।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) के इस्तीफे को लेकर बीजेपी के अंदरूनी संघर्ष और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)  की भूमिका की बात सामने आ रही है। जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के इस्तीफे की घोषणा के बाद विपक्षी दलों का दावा है कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) द्वारा संसद में की गई टिप्पणी और दबाव के कारण धनखड़ ने इस्तीफा दिया। उदाहरण के लिए एक पोस्ट में कहा गया कि नड्डा ने संसद में दोपहर 12 बजे कुछ ऐसा कहा जिसके बाद धनखड़ ने रात 9 बजे इस्तीफा दे दिया।

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धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सूत्रों को दावा है कि  बीजेपी के कुछ धड़ों के बीच तनाव या सत्ता संतुलन की कोशिशें इसकी वजह हो सकती हैं। आरएसएस जो बीजेपी का वैचारिक आधार माना जाता है, अक्सर पार्टी के बड़े फैसलों में प्रभावशाली माना जाता है। कुछ विपक्षी नेताओं और टिप्पणीकारों ने धनखड़ के कार्यकाल के दौरान उनके बयानों, खासकर संविधान के अनुच्छेद 142 और न्यायपालिका पर टिप्पणियों को आरएसएस.बीजेपी के एजेंडे से जोड़ा। उदाहरण के लिए डीएमके ने धनखड़ के बयानों को अनैतिक करार देते हुए कहा था कि वह आरएसएस के एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा के आरएसएस के आह्वान पर धनखड़ की टिप्पणी ने भी विवाद खड़ा किया था।

बिहार के सांसद पप्पू यादव ने कहा कि उपराष्ट्रपति धनखड़ का स्वास्थ्य वजह एकदम नहीं है। वह एकदम सही थे। वे वह स्वस्थ थे और अगर अस्वस्थ भी थे तो उनका इलाज उपराष्ट्रपति रहते हुए ज्यादा अच्छा होता। उपराष्ट्रपति जी को सबसे बड़ा धक्का तब लगा जब जेपी नड्डा ने सदन में कहा कि किसी का बोला हुआ रिकॉर्ड पर नहीं जाएगा। मेरा बोला हुआ रिकॉर्ड पर जाएगा। इससे उनको बहुत अपमान महसूस हुआ। इसके बाद बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में ना तो रिजिजू आए ना तो नड्डा आए। यह इतना अपमानजनक था कि उनको बर्दाश्त नहीं हुआ। वह किसान के बेटे हैं और जाट नेता हैं। उनका अपमान हुआ इसलिए उनको बर्दाश्त नहीं हुआ। इसके पीछे भाजपा के अंदरूनी लड़ाई हैण् आरएसएस का भी रोल इसमें है।

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