यूपी (UP) के बदायूं जिले के राजकीय मेडिकल कालेज (Government Medical College) से शुक्रवार को बड़ा मामला सामने आया है। यहां अस्पताल की चौथी मंजिल से एक मरीज ने छलांग लगा दी। बताया जा रहा है कि, मरीज अस्पताल में टीबी का इलाज कराने के लिए आया था। उसके साथ उसके पिता भी अस्पताल आए थे। इस घटना के बाद मरीज के पिता ने अस्पताल स्टाफ पर गंभीर आरोप लगा दिए हैं।
बदायूं । यूपी (UP) के बदायूं जिले के राजकीय मेडिकल कालेज (Government Medical College) से शुक्रवार को बड़ा मामला सामने आया है। यहां अस्पताल की चौथी मंजिल से एक मरीज ने छलांग लगा दी। बताया जा रहा है कि, मरीज अस्पताल में टीबी का इलाज कराने के लिए आया था। उसके साथ उसके पिता भी अस्पताल आए थे। इस घटना के बाद मरीज के पिता ने अस्पताल स्टाफ पर गंभीर आरोप लगा दिए हैं।
संभल जिले के जुनावई थाना (Junawai Police Station) क्षेत्र के गांव हथिया वली निवासी सुभाष (30 वर्ष) टीबी से ग्रसित थे। वह मेडिकल कॉलेज (Medical College) की चौथी मंजिल पर बने टीबी वार्ड (TB Ward) में भर्ती थे। शुक्रवार सुबह उन्होंने चौथी मंजिल से छलांग लगा दी, जिससे वह प्रथम तल की पक्की जमीन पर आकर गिर गए। मौके पर ही उनकी मौत हो गई। सूचना पर पहुंची थाना पुलिस ने शव पोस्टमार्टम को भेजा है।
परिजनों ने इलाज में लापरवाही का लगाया आरोप
मेडिकल कॉलेज (Medical College) में मरीज के चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या की घटना शुक्रवार की सुबह सात बजे की है। घटना के समय उसके पिता दवा लेने गए थे। इसी दौरान युवक ने खिड़की से छलांग लगा दी थी। पिता ने स्टाफ पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। मृतक के किशनलाल ने आरोप लगाया कि बेटे की सांस फूल रही थी। डॉक्टर ने दवाई नहीं दी। रातभर परेशान रहा। सुबह करीब साढ़े सात बजे वह इमरजेंसी में दवाई लेने गए। इसी दौरान बेटा खिड़की से कूद गया।
प्रभारी सीएमएस ने दी यह दलील
प्रभारी सीएमएस डॉक्टर ज्ञानेंद्र यादव (Incharge CMS Dr Gyanendra Yadav) ने बताया कि रात में टीबी वार्ड (TB Ward) में एक मरीज की मौत हो गई थी। उसे देखकर वह घबरा गया, जिससे उसकी सांस फूलने लगी। स्टाफ ने उसे इंजेक्शन लगाए थे। दवाई भी दी। सुबह जब मरीज के पिता काउंटर पर दवाई लेने गए, तभी मरीज ने खिड़की धक्का देकर खोला और नीचे कूद गया।
पहले भी खिड़की से कूदकर मरीज कर चुका है आत्महत्या
कोरोना काल में भी एक मरीज ने खिड़की से कूदकर आत्महत्या की थी। इसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन (Medical College Administration) ने खिड़कियों को ठीक कराने की जहमत नहीं उठाई। इसी वजह से एक बार फिर घटना सामने आई है। मेडिकल कॉलेज लगातार विवादों के घेरे में है। बच्ची की मौत के मामले में कार्रवाई न होना लापरवाही को उजागर कर रहा है। बच्ची की मौत के मामले में तीसरी जांच चल रही है।