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Chahal Dhanashree Divorce : युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के तलाक पर फैसला कल, जानें कितने करोड़ का देना होगा गुजारा भत्ता?

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने भारतीय क्रिकेटर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) और उनकी पत्नी धनश्री वर्मा (Dhanashree Verma) द्वारा दायर एक याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13B (Section 13B of Hindu Marriage Act) के तहत तलाक की डिक्री के लिए निर्धारित छह महीने की प्रतीक्षा अवधि को माफ करने की मांग की गई थी।

By संतोष सिंह 
Updated Date

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने भारतीय क्रिकेटर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) और उनकी पत्नी धनश्री वर्मा (Dhanashree Verma) द्वारा दायर एक याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13B (Section 13B of Hindu Marriage Act) के तहत तलाक की डिक्री के लिए निर्धारित छह महीने की प्रतीक्षा अवधि को माफ करने की मांग की गई थी।

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बुधवार को न्यायमूर्ति माधव जामदार की एकल पीठ ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए फैमिली कोर्ट को निर्देश दिया कि वह इस तलाक याचिका पर कल ही निर्णय ले। कोर्ट ने यह आदेश चहल की आगामी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में भागीदारी को ध्यान में रखते हुए दिया।

कोर्ट का निर्देश

कोर्ट ने कहा, कि याचिकाकर्ता 1 (चहल) आईपीएल में भाग ले रहे हैं और उनके वकील ने सूचित किया है कि वे 21 मार्च से उपलब्ध नहीं रहेंगे। इसलिए परिवार न्यायालय से अनुरोध किया जाता है कि वह इस याचिका पर कल तक निर्णय ले। गौरतलब है कि चहल किंग्स इलेवन पंजाब की ओर से आईपीएल में खेलते हैं और लीग 22 मार्च से शुरू हो रही है।

तलाक प्रक्रिया की बैकग्राउंड

चहल और धनश्री ने दिसंबर 2020 में शादी की थी और जून 2022 में वे अलग हो गए. दोनों ने 5 फरवरी को परिवार न्यायालय में आपसी सहमति से तलाक की अर्जी दायर की थी और छह महीने की प्रतीक्षा अवधि को समाप्त करने की मांग की थी।

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हालांकि, परिवार न्यायालय ने 20 फरवरी को इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था, यह कहते हुए कि सहमति शर्तों का केवल आंशिक रूप से पालन किया गया था। कोर्ट ने उल्लेख किया था कि चहल को 4.75 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता देना था, लेकिन उन्होंने अभी तक केवल 2.37 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इसके अलावा, विवाह परामर्शदाता की रिपोर्ट में यह बताया गया था कि मध्यस्थता प्रयासों का भी केवल आंशिक रूप से अनुपालन किया गया है।

हाई कोर्ट का फैसला

हाई कोर्ट ने कहा कि सहमति शर्तों के अनुसार, स्थायी गुजारा भत्ते की दूसरी किस्त का भुगतान तलाक की डिक्री के बाद किया जाना था। इसलिए, इस मामले में प्रतीक्षा अवधि को समाप्त करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। कोर्ट ने 20 फरवरी के आदेश को रद्द करते हुए याचिका को स्वीकार कर लिया और तलाक की प्रक्रिया को तेज करने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट की पूर्व में दी गई व्यवस्था

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2017 में एक फैसले में कहा था कि यदि दोनों पक्षों के बीच विवाद सुलझने की कोई संभावना नहीं है, तो छह महीने की प्रतीक्षा अवधि को माफ किया जा सकता है। बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court)  के इस फैसले के बाद अब परिवार न्यायालय कल तक इस मामले में अंतिम निर्णय लेगा। यह फैसला चहल के आईपीएल कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि उन्हें लीग में भाग लेने में कोई बाधा न हो।

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