पूर्वी असम में चराईदेव मोइदम को सांस्कृतिक संपत्ति की श्रेणी के तहत यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया गया है । चराईदेव मैदाम पूर्वोत्तर का पहला और भारत का 43वां स्थल है, जिसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई है। मोइदम में अहोम शासकों के पार्थिव अवशेषों (Mortal remains of Ahom rulers) को उनके सामान के साथ रखा जाता है।
‘Charaideo Moidam’ UNESCO World Heritage Site : पूर्वी असम में चराईदेव मोइदम को सांस्कृतिक संपत्ति की श्रेणी के तहत यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया गया है । चराईदेव मैदाम पूर्वोत्तर का पहला और भारत का 43वां स्थल है, जिसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई है। मोइदम में अहोम शासकों के पार्थिव अवशेषों (Mortal remains of Ahom rulers) को उनके सामान के साथ रखा जाता है।
यह निर्णय दिल्ली में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के दौरान किया गया। नामांकन भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित 52 स्थलों में से चुना गया था। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस उपलब्धि के लिए असम सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना की। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मोइदाम के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व(Cultural and Historical Importance of Moidam) पर प्रकाश डाला, जो 13वीं से 19वीं शताब्दी तक ताई-अहोम की टीले पर दफनाने की परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। चराईदेव मोइदाम पूर्वोत्तर भारत का पहला सांस्कृतिक विरासत स्थल( Cultural heritage site) है जिसे यूनेस्को द्वारा मान्यता दी गई है और यह असम का तीसरा विश्व धरोहर स्थल है।
यूनेस्को में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी. शर्मा ने मार्च में इस स्थल का दौरा किया था। अब तक खोजे गए 386 मोइदम में से चराईदेव में 90 शाही कब्रगाह इस परंपरा के सबसे अच्छे संरक्षित, प्रतिनिधि और सबसे पूर्ण उदाहरण हैं।
मोइदम में अहोम शासकों के पार्थिव अवशेषों को उनके सामान के साथ रखा जाता है। 18वीं शताब्दी के बाद अहोम ने दाह संस्कार की हिंदू पद्धति को अपनाया और चराईदेव में एक मैदाम में दाह संस्कार की गईं हड्डियों और राख को दफनाना शुरू कर दिया। अत्यधिक पूजनीय मोइदम चराईदेव जिले को एक पर्यटन स्थल बनाते हैं।