सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधीश अग्रवाल (Supreme Court Bar Association President Adheesh Aggarwal) ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) को चिट्ठी लिखकर उनसे इलेक्टोरल बॉन्ड योजना (Electoral Bond Scheme) को लेकर दिए फैसले की समीक्षा करने की अपील की थी।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष की चिट्ठी को पब्लिसिटी स्टंट बताकर खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने कहा कि हम इस मामले में नहीं पड़ना चाहते है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधीश अग्रवाल (Supreme Court Bar Association President Adheesh Aggarwal) ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) को चिट्ठी लिखकर उनसे इलेक्टोरल बॉन्ड योजना (Electoral Bond Scheme) को लेकर दिए फैसले की समीक्षा करने की अपील की थी।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने अधीश अग्रवाल (Adheesh Aggarwal) की चिट्ठी पर कहा कि ‘वरिष्ठ वकील होने के साथ ही आप सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। आपने एक चिट्ठी लिखकर स्वतः संज्ञान लेने की बात कही थी। ये सब पब्लिसिटी संबंधी है और हम इसमें नहीं पड़ना चाहते। मुझसे ज्यादा मत बुलवाइए क्योंकि ये बुरा लग सकता है।’
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने दिया था ये तर्क
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के चीफ अधीश अग्रवाल (Supreme Court Bar Association President Adheesh Aggarwal) ने मुख्य न्यायाधीश को लिखी चिट्ठी में लिखा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond ) के मामले में संविधान पीठ (Constitution Bench) ने जो आदेश दिया है, उसमें दानदाता और उनके चंदे की जानकारी देने वाले निर्देश की समीक्षा की जानी चाहिए। अधीश अग्रवाल (Adheesh Aggarwal) ने दावा किया कि दानदाता और उनके चंदे की जानकारी सार्वजनिक होने से उद्योगपतियों को नुकसान हो सकता है क्योंकि राजनीतिक पार्टियां उनका उत्पीड़न कर सकती हैं। ऐसे में उनके नामों और चंदे की रकम का खुलासा न किया जाए। हालांकि अदालत ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बीते दिनों अपने ऐतिहासिक फैसले में सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना (Electoral Bond Scheme) पर रोक लगा दी थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलेक्टोलर बॉन्ड (Electoral Bond ) की खरीद के लिए अधिकृत एकमात्र बैंक एसबीआई (SBI) से दानदाताओं, राजनीतिक पार्टियों और चंदे की रकम का खुलासा करने का निर्देश दिया था। जिस पर एसबीआई (SBI) ने निर्वाचन आयोग (Election Commission) को यह जानकारी उपलब्ध करा दी थी और निर्वाचन आयोग (Election Commission) द्वारा अपने वेबसाइट पर यह जानकारी सार्वजनिक की गई।