कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश (Congress Party General Secretary Jairam Ramesh) ने सोमवार को एक्स पोस्ट पर लिखा कि दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए।
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश (Congress Party General Secretary Jairam Ramesh) ने सोमवार को एक्स पोस्ट पर लिखा कि दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। उन्होंने कहा कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है। जबकि सीएए (CAA) के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है।
दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है। सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 11, 2024
जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा कि सीएए (CAA) के नियमों की अधिसूचना के लिए नौ बार एक्सटेंशन मांगने के बाद घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से ठीक पहले का समय चुना गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव को ध्रुवीकृत करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में। यह इलेक्टोरल बांड घोटाले (Electoral Bond Scam) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की कड़ी फटकार और सख़्ती के बाद हेडलाइन को मैनेज करने का प्रयास भी प्रतीत होता है।
‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’, जब उसके चुनावी चंदा के स्रोत की बात आती है तो वह ‘ना बताऊंगा, ना दिखाऊंगा’ पर जोर दे रहा है
कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश (Congress Party General Secretary Jairam Ramesh) ने सोमवार को एक्स पोस्ट पर लिखा कि वह व्यक्ति जिसने कहा था कि ‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’, जब उसके चुनावी चंदा के स्रोत की बात आती है तो वह ‘ना बताऊंगा, ना दिखाऊंगा’ पर जोर दे रहा है।
The man who once famously said ‘Na Khaunga, Na Khane Dunga,’ has been insistent on ‘Na Bataunga, Na Dikhaunga’ when it comes to the source of his Chunavi Chanda.
Ever since the Supreme Court verdict asking for the information regarding the donors and recipients of the Electoral… https://t.co/5TPsvXX7Tw
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 11, 2024
पढ़ें :- चुनाव नियम में बदलाव के खिलाफ कांग्रेस ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, कहा- एकतरफा संशोधन की नहीं दी जा सकती अनुमति
जयराम रमेश (Jairam Ramesh)ने लिखा कि जब से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने चुनावी बांड (Electoral Bonds) के दानदाताओं और प्राप्तकर्ताओं के बारे में जानकारी प्रकाशित करने को कहा है, तब से मोदी सरकार (Modi Government) ने एसबीआई (SBI) से चुनाव के बाद तक खुलासा टालने की कोशिश की है। भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) के तर्कों की स्पष्ट बेईमानी को समझने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को सलाम।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आधी सच्चाई है – हम चाहेंगे कि इसमें पूरी पारदर्शिता हो कि किसने किस राजनीतिक दल को कितना दान दिया। फिर भी हम इस फैसले का स्वागत करते हैं।
कल चुनावी बांड दाताओं के खुलासे से पहले, यहां कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं:
1. 2017 से 2023 के बीच बीजेपी को चुनावी बॉन्ड योजना (Electoral Bonds scheme) के जरिए सभी राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे का 57% हिस्सा मिला। बीजेपी को बॉन्ड के जरिए 6,565 करोड़ रुपये मिले। इसलिए यह संभावना है कि अधिकांश दानदाताओं की पहचान कल की जाएगी और उनके द्वारा योगदान की गई अधिकांश राशि सीधे प्रधान मंत्री के अथाह अभियान खजाने में चली जाएगी।
2. चुनावी बांड (Electoral Bonds) तस्वीर का हिस्सा हैं – वे भाजपा के *घोषित* फंड का 58% प्रतिनिधित्व करते हैं। कोई केवल कल्पना ही कर सकता है कि भाजपा के वित्त का कितना हिस्सा अज्ञात माध्यमों से इन्हीं दानदाताओं से आ रहा है।
3. प्रत्यक्ष कॉर्पोरेट दान और चुनावी ट्रस्ट दान की पिछली जांच से पता चला है कि उन कॉर्पोरेट्स के बीच एक पत्राचार है जो ईडी-आईटी जांच (ED-IT Investigation) के तहत हैं, और जो भाजपा को दान दे रहे हैं। यह देखना होगा कि कल जब चुनावी बांड (Electoral Bonds) दाताओं के नाम सामने आएंगे तो कौन से नए घोटाले हमारा इंतजार कर रहे हैं।