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Earthquake Alert: भारत के इस राज्य में 30 घंटे के भीतर महसूस हुए 24 झटके, बड़े भूकंप की आहट

Kachchh Earthquake Alert: गुजरात के कच्छ में शुक्रवार सुबह 4.6 की तीव्रता का भूकंप आया था। जिसके बाद 30 घंटे में करीब 23 हल्के झटके महसूस किए गए हैं। इनसे बड़े नुकसान की कोई खबर हो नहीं, लेकिन इन झटकों ने किसी बड़े भूकंप की ओर इशारा किया है। जिसकी वजह से राज्य के इस संवेदनशील इलाके को लेकर भूवैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ गयी हैं।

By Abhimanyu 
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Kachchh Earthquake Alert: गुजरात के कच्छ में शुक्रवार सुबह 4.6 की तीव्रता का भूकंप आया था। जिसके बाद 30 घंटे में करीब 23 हल्के झटके महसूस किए गए हैं। इनसे बड़े नुकसान की कोई खबर हो नहीं, लेकिन इन झटकों ने किसी बड़े भूकंप की ओर इशारा किया है। जिसकी वजह से राज्य के इस संवेदनशील इलाके को लेकर भूवैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ गयी हैं।

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दरअसल, कच्छ में आए ताजा भूकंप ने 24 साल पहले की उस तबाही के जख्म जरूर हरे कर दिए हैं। 2001 में आए भूकंप में 13,805 और 20,023 लोगों की मृत्यु हुई (दक्षिणपूर्वी पाकिस्तान में 18 समेत), 167,000 घायल हो गए और लगभग 400,000 घर नष्ट हो गए। रिपोर्ट्स की मानें तो शुक्रवार को आए भूकंप के बाद भू-वैज्ञानिकों (Geologists) को क्षेत्र में तीन फॉल्ट लाइंस का पता चला है जो अब ऐक्टिव हो गए हैं।

भूकंप के हालिया डेटा से पता चला है कि कथरोल हिल (Kathrol Hill), गोरा डोंगर (Gora Dongar) और नॉर्थ वागड़ (North Wagad) फॉल्ट लाइनें एक साथ ऐक्टिव हो गईं हैं। जिसके बाद भारत के सबसे प्रमुख भूकंप संभावित क्षेत्र कच्छ को लेकर चिंता बढ़ गई है। यह क्षेत्र पहले से ही 10 से अधिक फॉल्ट लाइनों पर स्थित है, जिनमें कच्छ मेनलैंड फॉल्ट और साउथ वागड़ फॉल्ट शामिल हैं, जो 2001 में 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के दौरान टूट गए थे।

कच्छ यूनिवर्सिटी में जियोसाइंसेज डिपार्टमेंट (Department of Geosciences at Kutch University) के असिस्टेंट प्रोफेसर गौरव चौहान का कहना है कि नागर पार्कर (Nagar Parkar) और अल्लाह बंड (Allah Band) जैसी पारंपरिक रूप से सक्रिय फॉल्ट लाइनों ने सालों से भूकंप उत्पन्न किए हैं। लेकिन, अब चिंता की बात यह है कि हालिया झटकों ने नॉर्थ वागड़ फॉल्ट (North Wagad Fault) पर गतिविधि की पुष्टि की है, जबकि पिछले कुछ महीनों में काठरोल हिल और गोरा डोंगर फॉल्ट लाइनों पर दर्ज भूकंप यह संकेत देते हैं कि 2025 की शुरुआत से ही तीनों फॉल्ट लाइनें फिलहाल सक्रिय हो चुकी हैं।

चौहान ने कहा, ‘आफ्टरशॉक्स (मुख भूकंप के बाद झटके) दबाव घटाते हैं, लेकिन कई फॉल्ट लाइंस का ऐक्टिव होना भी चेतावनी है। ये फॉल्ट बड़े भूकंप को उत्पन्न करने की क्षमता रखते हैं और इसलिए तैयारी बहुत अहम है।’ वैज्ञानिकों (Geologists) ने चेतावनी दी है कि कच्छ में आने वाला कोई शक्तिशाली भूकंप (Powerful earthquake) केवल इस क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा। क्षेत्र की भू-आकृतिक संरचना को देखते हुए, तेज झटके पश्चिमी भारत के बड़े हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं।

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