पर्वतराज हिमालय से निकलने वाली गंगा नदी को पृथ्वी को स्वर्ग का वरदान माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की जटाओं से निकली गंगा पृथ्वी पर अवतरित होकर जीवों का कल्याण करती है।
Ganga Saptami 2025 : पर्वतराज हिमालय से निकलने वाली गंगा नदी को पृथ्वी को स्वर्ग का वरदान माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की जटाओं से निकली गंगा पृथ्वी पर अवतरित होकर जीवों का कल्याण करती है। गंगा की के अवतरण दिवस पर सनातनधर्मी गंगा सप्तमीका पर्व मनाते है। लोग इस दिन देवी गंगा की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। हर साल यह पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है और इस साल यह 3 मई 2025 को मनाया जाएगा। इस खास अवसर पर लोग पवित्र और पावन नदी गंगा में स्नान कर अपने सभी पापों से मुक्ति पाते हैं और मां गंगा की पूजा करते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन देवी गंगा प्रकट हुई थीं। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने भगवान विष्णु के पैर धोने के बाद जल को अपने कमंडल में रख लिया था। इसी जल से मां गंगा का जन्म हुआ था।
कब है गंगा सप्तमी और इसका महत्व?
इस दिन तुलसी पूजन का बड़ा महत्व है। ऐसे में इस दिन मां गंगा की पूजा के अलावा मां देवी के सामने घी का दीपक जलाएं। उन्हें जल अर्पित करें। साथ ही नारियल, चुनरी चढ़ाए। आटे के हलवे का भोग लगाएं। तुलसी चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती करें। ऐसा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
मंत्र जाप
ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा’ मंत्र का जाप करें।
गंगा आरती करें और श्री गंगा सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें।