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वैश्विक शक्ति अब अंतिरिक्ष के साथ साइबरस्पेस और संज्ञानात्मक क्षेत्र तक फैल चुका है- सीडीएस अनिल चौहान

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने रविवार को कहा कि वैश्विक शक्ति के लिए संघर्ष, जो कभी ज़मीन से लेकर आसमान तक भौगोलिक नियंत्रण तक सीमित था। अब अंतरिक्ष के साथ-साथ साइबरस्पेस और संज्ञानात्मक क्षेत्र तक फैल गया है। उन्होंने आगे कहा कि भारत एक महाद्वीपीय और एक समुद्री शक्ति होने के नाते हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान रखता है।इसलिए भारत किसी भी अन्य देश के लिए हमेशा पहला प्रतिक्रियादाता और पसंदीदा भागीदार होता है।

By Satish Singh 
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नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान (Chief of Defence Staff General Anil Chauhan)ने रविवार को कहा कि वैश्विक शक्ति (global power) के लिए संघर्ष, जो कभी ज़मीन से लेकर आसमान तक भौगोलिक नियंत्रण (geographical control) तक सीमित था। अब अंतरिक्ष के साथ-साथ साइबरस्पेस (cyberspace) और संज्ञानात्मक क्षेत्र (cognitive domain) तक फैल गया है। उन्होंने आगे कहा कि भारत एक महाद्वीपीय और एक समुद्री शक्ति होने के नाते हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान रखता है।इसलिए भारत किसी भी अन्य देश के लिए हमेशा पहला प्रतिक्रियादाता और पसंदीदा भागीदार होता है।

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सीडीएस अनिल चौहान (CDS Anil Chauhan) चंडीगढ़ में आयोजित 9वें सैन्य साहित्य महोत्सव 2025 के दूसरे दिन बहु-क्षेत्रीय युद्ध में हृदयस्थल और रिमलैंड शक्तियां और भारत विषय पर आयोजित महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। ब्रिटिश लेखक टिम मार्शल की पुस्तक प्रिजनर्स एंड जियोग्राफी (Prisoners and Geography by British author Tim Marshall) का हवाला देते हुए सीडीएस ने इस बात पर ज़ोर दिया कि किसी राष्ट्र का स्थान और उसकी भौगोलिक विशेषताएं, उसके आकार की परवाह किए बिना, उसकी शक्ति प्रक्षेपण (power projection) और रणनीतिक विकल्प प्रदान करने की क्षमता निर्धारित करती हैं। यदि आप 20वीं सदी की भू-राजनीतिक घटनाओं को देखें, तो भारत का विभाजन, पाकिस्तान का उदय, चीन के साथ हमारा युद्ध, इन सबने भारत को एक महाद्वीपीय दृष्टिकोण अपनाने के लिए मजबूर किया। लेकिन यदि आप भारत के भूगोल पर नज़र डालें तो मुझे लगता है कि यह दर्शाता है कि भारत एक महाद्वीपीय और एक समुद्री शक्ति (sea ​​power) है। इसलिए भारत हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान रखता है और इसलिए हम हमेशा किसी भी अन्य देश के लिए पहला उत्तरदाता और पसंदीदा भागीदार रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक सदी से भी अधिक समय से वैश्विक शक्ति के लिए संघर्ष भूगोल पर नियंत्रण के संघर्ष का सार रहा है।

समुद्र, महाद्वीप और आकाश (Seas, continents and skies) के संपर्क को देखें तो यह अंतरिक्ष, साइबरस्पेस और संज्ञानात्मक क्षेत्र तक फैला हुआ है। राष्ट्र-राज्यों का स्थान और उसका नैदानिक ​​भूगोल परियोजना पथ (Clinical Geography Project Pathways) के लिए शत्रुता निर्धारित करता है और उसके आकार से परे रणनीतिक विकल्प प्रदान करता है। जनरल चौहान ने कहा कि जिबूती बाब अल मंडेब में स्थित है, जबकि सिंगापुर मलक्का जलडमरूमध्य के पास है। सीडीएस चौहान ने जोर देकर कहा कि इन देशों का स्थान अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उनके महत्व को बढ़ाता है। दो छोटे राष्ट्र हैं जिबूती और सिंगापुर जो दोनों बाब अल मंडेब और मलक्का जलडमरूमध्य में स्थित हैं, न केवल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इसी तरह अगर हम निकटतम समुद्री पड़ोसी इंडोनेशिया को देखें, तो प्रशांत और हिंद महासागर को जोड़ने वाले राज्यों की संख्या मलक्का, सुंडा, लोम्बोक और ओम्बाई-वेटर (Malacca, Sunda, Lombok and Ombai-Wetar) जलडमरूमध्य है।

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