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मिथुन राशि में प्रवेश करते ही अतिचारी हो जाएंगे गुरु बृहस्पति

यहां पर अतिचारी का मतलब यह कि गुरु अपनी सामान्य चाल के मुकाबले बहुत ही तेज गति से चलेंगे। देवगुरु बृहस्पति 14 मई को रात 11 बजकर 20 मिनट पर बुध के स्वामित्व वाली राशि मिथुन में प्रवेश करेंगे।

By Shital Kumar 
Updated Date

14 मई 2025 को देवताओं के गुरु बृहस्पति राशि परिवर्तन करते हुए मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। इस साल शनि के बाद दूसरा सबसे बड़ा राशि परिवर्तन गुरु का होगा, जो मिथुन राशि में प्रवेश करते ही अतिचारी हो जाएंगे।

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यहां पर अतिचारी का मतलब यह कि गुरु अपनी सामान्य चाल के मुकाबले बहुत ही तेज गति से चलेंगे। गुरु के अतिचारी होने की वजह से गुरु की चाल में जल्दी-जल्दी बदलाव आएगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवताओं के गुरु बृहस्पति को सुख-समृद्धि, विवाह, अध्यात्म, संतान, विद्या, शिक्षा और ज्ञान आदि का कारक ग्रह माना जाता है। गुरु के अतिचारी होने की वजह से कई राशि वालों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेगा। देवगुरु का अतिचारी गोचर साल 2032 तक चलेगा।

वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक देवगुरु बृहस्पति 14 मई को रात 11 बजकर 20 मिनट पर बुध के स्वामित्व वाली राशि मिथुन में प्रवेश करेंगे। गुरु के मिथुन राशि में गोचर होने से ये अतिचारी हो जाएंगे। मिथुन राशि के बाद ये 18 अक्टूबर को कर्क राशि में आएंगे। इसके बाद 5 दिसंबर देवगुरु दोबारा से मिथुन राशि में आ जाएंगे।

प्रभाव
गुरु सभी ग्रहों में सबसे बड़े और शुभ ग्रह माने जाते हैं। गुरु एक साल में राशि परिवर्तन करते हैं। गुरु का कई गुने से अधिक चाल से चलना देश-दुनिया पर प्रभाव देखने को मिलता है। गुरु के अतिचारी होने से देश-दुनिया और व्यक्ति के जीवन में कई तरह की उथल-पुथल मचा सकते हैं। गुरु के अतिचारी होने से दुनिया में कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं, आर्थिक मंदी और विपदा ला सकते हैं।

मेष राशि
वैदिक गणना के अनुसार मेष राशि के जातकों के लिए गुरु नौवें और बारहवें भाव के स्वामी होकर आपके तीसरे भाव में प्रवेश करेंगे। इससे इस राशि वालों को अध्यात्म की तरफ बहुत तेजी से झुकाव देखने को मिल सकता है। भाग्य का अच्छा साथ मिल सकता है। आर्थिक स्थिति में सुधार और और अचानक लाभ के संयोग भी होंगे।

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वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए गुरु आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी होकर दूसरे भाव में प्रवेश करेंगे। गुरु का दूसरे भाव में गोचर होने से धन-दौलत और सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। धन लाभ के अवसरों में वृद्धि देखने को मिलेगी। परिवार में प्रेम बढ़ेगा। जीवन में खुशियों की दस्तक हो सकती है। हालांकि गुरु के मिथुन राशि में गोचर होने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में इजाफा हो सकता है।

सिंह राशि
लाभ भाव में गुरु का गोचर होना सिंह राशि वालों के लिए सभी तरह की सुख-सुविधाओं में इजाफा दिला सकता है। पांचवें और आठवें भाव के स्वामी होकर गुरु 14 मई को एकादश भाव में प्रवेश करेंगे। ऐसे में आकस्मिक धन लाभ के योग का निर्माण होगा। जो लोग नौकरीपेशा है उन्हें नौकरी में प्रमोशन, अवसरों में वृद्धि और अच्छी सफलता मिल सकती है। आमदनी में बढ़ोतरी होने के प्रबल संकेत हैं।

तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए गुरु तीसरे और छठे भाव के स्वामी होकर नवम भाव यानी भाग्य भाव में रहने वाले हैं। इस तरह से गुरु के गोचर होने से इस राशि के जातकों को भाग्य का बहुत अच्छा साथ मिलेगा। कार्यो में सफलता और मान-सम्मान में वृद्धि होगी। परिवार में सुखी के पल मिलेंगे जिससे मिल बांटकर मनाएंगे।

 

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